आपकी परेशानी बढ़ा सकते हैं कुंडली में बन रहे योग, बचाव के लिए अपना सकते हैं ये उपाय
कुंडली में बने इन दोष को दूर करना आवश्यक होता है और समय रहते यदि इन दोषों को दूर नहीं किया गया तो परिणाम घातक भी हो सकते हैं।
ग्रहों की युति कुंडली में योग का निर्माण करती है। ये योग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के होते हैं। नकारात्मक योग को कुंडली दोष के नाम से भी जानते हैं। यहां हम कुंडली में ऐसे पांच योग बताने जा रहे हैं, जिनकी वजह से परेशानियां बढ़ सकती हैं। कुंडली में बने इन दोष को दूर करना आवश्यक होता है और समय रहते यदि इन दोषों को दूर नहीं किया गया तो परिणाम घातक भी हो सकते हैं।
ग्रहण योग किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु-केतु बैठे हों तो यह स्थिति कुंडली में ग्रहण योग बनाती है। इस योग के कारण जीवन में अस्थिरता आ जाती है। व्यक्ति नौकरी-व्यापार में अस्थिरता के कारण परेशान रहता है। इस अशुभ योग के निवारण के लिए जातकों को चंद्र ग्रह की शांति के उपाय करने चाहिए। चंद्र ग्रह की शांति से लाभ मिलता है।
अल्पायु योग अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा पापी या क्रूर ग्रहों के साथ त्रिक स्थान (छठे, आठवें, बारहवें भाव) पर बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में अल्पायु योग का निर्माण करती है। ऐसे जातक पर सदैव मृत्यु का संकट बना रहता है। इसलिए इस दोष से बचने के लिए जातकों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मृत्यु भी टल जाती है।
षड्यंत्र योग लग्न भाव का स्वामी (लग्नेश) अगर अष्टम भाव में बिना किसी शुभ ग्रह के हो तो कुंडली में षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी धन-संपत्ति नष्ट होने की आशंका रहती है। इस योग के चलते कोई विपरीत लिंगी जातक इन्हें भारी मुसीबत में डाल सकता है। इस योग से बचने के लिए भगवान शिव की आराधना करें।
चांडाल योग अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु बृहस्पति के साथ राहु बैठा हो तो, दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग बनता है। चांडाल योग से व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके प्रभाव से ऋण में बढोतरी होती है। इस योग की शांति के लिए गुरु बृहस्पति की शांति के उपाय करने चाहिए। गुरुवार के दिन पीली चीजों का दान करना इस योग का एक निवारण है।
केमद्रुम योग जब कुंडली में चंद्रमा किसी भाव में अकेला बैठा हो, उसके आगे यानि दूसरे और पीछे यानि की बाहरवें स्थान पर कोई ग्रह न हो तो और न ही उस पर किसी ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो इसे केमद्रुम योग कहते हैं। यह योग व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बनता है। इस योग को दूर करने के लिए चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।