(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बदलने वाला है इन 3 सरकारी बैंकों का नाम, अब ग्राहकों के लिए जरूरी होंगे ये काम
केंद्र सरकार जल्द ही Punjab National Bank (PNB), United Bank of India (UBI) और Oriental Bank of Commerce (OBC) के विलय के बाद अस्तित्व में आने वाले नए बैंक का नाम और लोगो की घोषणा करेगी। विलय के बाद बना नया बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा।
केंद्र सरकार पंजाब नेशनल बैंक (PNB), यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स (OBC) के मर्जर के बाद बनने वाले नए बैंक के लिए नया नाम और प्रतीक चिह्न (लोगो) की घोषणा करेगी। तीनों बैंकों के मर्जर के बाद ये भारतीय स्टेट बैंक के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा जिसका कुल व्यापार आकार 18 लाख करोड़ रुपये का होगा। नए नाम के साथ बैंक 1 अप्रैल 2020 से ऑपरेशनल हो जाएगा।
होगा ये असर मर्जर के बाद आपको एक नया खाता नंबर और कस्टमर आईडी मिल सकता है। इसलिए आप हमेशा ध्यान रखें कि आपका ई-मेल एड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक के पास अपडेट हो। बैंकों के मर्जर के बाद खाताधारकों की जमापूंजी पर कोई असर नहीं होगा। खाता नंबर और कस्टमर आईडी में बदलाव हो सकता है। तीनों बैंकों के मर्जर के बाद आपको एक नया खाता नंबर और कस्टमर ID मिल सकता है। बैंक हमेशा आपके फोन नंबर और ई-मेल आईडी पर किसी बदलाव के बारे में तुरंत जानकारी भेजता है।
बदलनी होगी चेकबुक मान लें आपका खाता UBI या फिर OBC में है तो आपको अपनी चेकबुक बदलने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। मौजूदा चेकबुक हालांकि कुछ समय के लिए मान्य रहेगी, लेकिन अंततः उन्हें उस बैंक के चेकबुक से बदलना पड़ता है, जिस बैंक में विलय हुआ है। PNB ग्राहकों को भी नई पासबुक और चेकबुक मिलेगी।
जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलॉट किए जाएंगे उन्हें इन सभी डीटेल्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) इत्यादि जगह पर अपडेट कराना होगा।
नई ECS, SIP के लिए उठाने होंगे ये कदम मर्जर के बाद नए बैंक में कई बदलाव होंगे। ऐसे में आपको अपनी ECS में बदलाव करना होगा। इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर नए ECS निर्देश जारी करें। जरूरत होने पर आपको ECS से जुड़ा फॉर्म ऑनलाइन या अपनी ब्रांच के जरिए भरना होगा। ऑटो डेबिट या सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए आपको नया SIP रजिस्ट्रेशन और इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है। ऐसा ही लोन की ईएमआई के लिए भी करना होगा।
बदल सकता ब्रांच का एड्रेस मर्जर के बाद बनने वाला नया बैंक अपनी कुछ ब्रांच को बंद कर सकता है क्योंकि उस बिल्डिंग या फिर आस-पास UBI और OBC की ब्रांच होगी तो उसे एक ही ब्रांच में शिफ्ट कर दिया जाएगा। ऐसे में बैंक के खर्चे बचेंगे। लिहाजा आपकी ब्रांच का एड्रस बदल सकता है इसीलिए आपको नई ब्रांच के लिए लागू नए IFSC और MICR कोड का ध्यान रखें, क्योंकि आपको फंड ट्रांसफर और अन्य फाइनेशियल ट्रांजेक्शंस के लिए इसकी जरुरत होगी।