श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है लखीमपुर का मेंढक मंदिर, दिलचस्प है इसके स्थापना की कथा
यूपी के लखीमपुर खीरी में बना मेंढक मंदिर में शिवलिंग मौजूद है. कहा जाता है कि शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. मंदिर के स्थापना की कथा भी दिलचस्प है.
लखीमपुर खीरी. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भारत का एकमात्र ऐसा मेंढक मंदिर है जो बरबस ही अपनी तरफ आकर्षित करता है. मेंढक मंदिर में भगवान शिवलिंग मौजूद है. लखीमपुर शहर से 12 किलोमीटर दूर सीतापुर हाईवे पर स्थित कस्बा ओयल में यह प्राचीन मंदिर स्थित है. जमीन तल से लगभग 100 फीट ऊंचाई पर यह मंदिर बनाया गया है. मंदिर के अंदर या बाहर कई चित्रकारी मन मोह लेती है.
200 साल पुराना है मंदिर कहा जाता है कि ओयल के राजा बख्त सिंह ने मंदिर की स्थापना की थी. करीब तो 200 साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर तंत्र- मंत्र से मेंढक के ऊपर बना हुआ है. मंदिर के चारों कोनों पर ऊंचे चौड़े खंभे हैं. इन पर कई कलाकृतियां भी बनी हुई है. शिव मंदिर के पास ही ऊपर कुआं भी बना हुआ है इसी कुए से भक्त जल लेते हैं. शिवलिंग के पास में नंदी भी खड़े हुए हैं. कहते हैं नंदी खड़े होने की मूर्ति केवल यहीं पर मिलती है.
तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग नर्मदा नदी से लाए गए शिवलिंग का दिन में तीन बार रंग भी बदलता रहता है. पहले मंदिर के ऊपर सोने का छत्र भी लगा हुआ था और जैसे-जैसे सूर्य घूमता था उसी प्रकार से वह भी घूमा करता था, लेकिन अब वह क्षतिग्रस्त हो चुका है. सावन और महाशिवरात्रि के पर्व पर भारी संख्या में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं और पूजा-पाठ करते हैं.
दिलसच्प है स्थापना की कथा लोगों का कहना है कि इलाके में किसी समय अकाल पड़ गया था. तब लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए राजा ने पुरोहितों से सलाह कर मेंढक के ऊपर भगवान शिव का विशाल मंदिर बनवाया था. लोगों ने पूजा-अर्चना कर अकाल से मुक्ति की प्रार्थना की थी, तभी से यह मंदिर विख्यात हो गया और मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाने लगा.
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