अयोध्या, एबीपी गंगा। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हो चुका है और अब बस इंतजार से मंदिर निर्माण के कार्य के शुरू होने का। 5 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया और नाम दिया 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र'। इस ट्रस्ट के ऐलान के साथ ये भी उम्मीद जगी कि अब जल्द ही रामलला तंबू से निकलकर भव्य मंदिर में विराजेंगे।


नौ नवंबर, 2019 को रामलला के हक में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद से साधु-संतों से लेकर रामभक्तों तक हर कोई ट्रस्ट के ऐलान का इंतजार कर रहा था। हालांकि, ट्रस्ट गठित करने में सरकार को 88 दिन लग गए। सालों से मंदिर निर्माण का इंतजार कर रहे लोगों को उस पल का इंतजार है, जब रामलला भव्य मंदिर में विराजेंगे। रामलला की अस्मिता को लेकर चले लंबे संघर्ष के बाद ट्रस्ट की घोषणा ने रामभक्तों के चेहरे पर दोबारा चमक ला दी है।


ट्रस्ट में कौन-कौन शामिल




  • 15 सदस्यीय 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट में एक ट्रस्टी अनिवार्य रूप से दलित होगा।

  • इसमें शामिल 9 सदस्यों के नाम सामने आए हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में रामलला को जीत दिलाने वाले

  • रामभक्त के. परासरन का नाम पहला पायदान पर है।

  • इसके साथ ही, 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास करने वाले दलित कामेश्वर चौपाल का नाम भी ट्रस्ट के सदस्यों में शामिल है।

  • इनके अलावा जगतगुरु शंकराचार्य, जगतगुरु माधवानंद स्वामी, युगपुरुष परमानंद जी महाराज का नाम भी ट्रस्ट के सदस्यों में शामिल है।

  • पुणे के गोविंद देव गिरि, अयोध्या के डॉक्टर अनिल मिश्रा, कामेश्वर चौपाल और निर्मोही अखाड़ा के धीरेंद्र दास की ट्रस्ट के सदस्य हैं।

  • अयोध्या राज परिवार से जुड़े बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा का भी नाम शामिल।


नहीं होगा सरकारी दखल


बुधवार को ट्रस्ट की घोषणा के बाद गृहमंत्रालय के अवर सचिव खेला राम मुर्मू ने 100 रुपये के स्टांप पेपर पर इसे पंजीकृत कराया और फिर एक रुपये में परासरन को ट्रांसफर कर दिया। इसके डीड में भी स्पष्ट किया गया है कि ट्रस्ट गठन के बाद इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। इस ट्रस्ट को मंदिर निर्माण से लेकर इसके रखरखाव के लिए जुटाने वाले धन और प्रबंधन की पूरी छूट होगी। ये ट्रस्ट सरकारी दखल से पूर्ण रूप से मुक्त होगा। फिलहाल शुरुआती दौर में ये ट्रस्ट परासरन के आवास के कार्य करेगा, इसके बाद इसका स्थायी कार्यालय खोला जाएगा। इसका पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में होगा।


ट्रस्ट के सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य


ट्रस्ट के नियमों के अनुसार, इसमें 10 स्थायी सदस्य होंगे, जिनको वोटिंग का अधिकार होगा। बाकी के पांच सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं है। इस ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य होगा।


ट्रस्ट में होगा केंद्र सरकार का IAS अधिकारी


इसके अलावा एक सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाएगा, जो आईएएस अधिकारी होगा और हिंदू धर्म माननेवाला होगा। ये जॉइंट सेक्रेटरी से नीचे की रैंक का अधिकारी नहीं होना चाहिए।


ट्रस्ट में होगा राज्य सरकार का IAS अधिकारी


राज्य सरकार द्वारा नामित एक सदस्य होगा, जो आईएएस अधिकारी होगा और राज्य सरकार के अंडर कार्यरत होगा। ये अधिकारी सेक्रेटरी रैंक से नीचे नहीं होना चाहिए। ये अधिकारी भी हिंदू धर्म मानने वाला होगा।


अयोध्या के डीएम भी होंगे ट्रस्टी


अयोध्या के डीएम भी ट्रस्ट के सदस्य होंगे, उनका भी हिंदू होना अनिवार्य है। अगर किसी सूरत वे वो हिंदू नहीं हैं, तो उनकी जगह ए़डीएम को ट्रस्ट का सदस्य माना जाएगा।


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