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जानें- कोरोना से बचाव का सबसे बेहतर तरीका, ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी

कोरोना वायरस उस स्थान पर तेजी से फैल सकता है जहां लोग भारी संख्या में उपस्थित रहें। ऐसे स्थान पर यदि कोई खांसता है या छींकता है तो आस-पास के अन्य लोगों को भी संक्रमण हो सकता है।

कोरोना वायरस दुनिया के हिस्सों में फैल चुका है। इस वायरस ने कई बड़े देशों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। बड़े शहरों को कोरोना वायरस का खतरा अधिक है क्योंकि यहां लोग पास-पास रहते हैं, साथ काम करते हैं। ऐसे में अगर कोई एक व्यक्ति भी इसकी चपेट में आता है तो इस वायरस को फैलने से रोकना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। इस स्थिति में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और इससे निपटने के लिए क्या तैयारियां की जा सकती है चलिए इसपर भी एक नजर डालते हैं।

जागरूकता है बचाव

कोरोना वायरस से बचने का सबसे बहतर तरीका है इससे बचाव। बचाव के लिए लोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जिससे यह वायरस न फैले। इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सबसे अहम उपाय है कि लोग हाथों को अच्छी तरह से धोएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सलाह दी है कि सभी को नियमित रूप से अपने हाथों को अच्छे से धोना चाहिए। खांसते अथवा छींकते वक्त मुंह को ढंक कर रखना चाहिए। जिन लोगों को सांस की बीमारी हो, उनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। जिंदा पालतू या जंगली जानवरों के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए। भारत में भी इससे बचाव पर सबसे अधिक जोर दिया जा रहा है और लोगों से सफाई की अपील की जा रही है।

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सार्वजनिक परिवहन रखी जाए विशेष नजर

किसी भी संक्रामक वायरस के फैलने का सबसे अच्छा माहौल सार्वजनिक परिवहन में मिलता है। वायरस उस स्थान पर तेजी से फैल सकता है जहां लोग भारी संख्या में उपस्थित रहें। ऐसे स्थान पर यदि कोई खांसता है या छींकता है तो आस-पास के अन्य लोगों को भी संक्रमण हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जाए और बसों, रेलगाड़ियों और स्टेशनों के अंदर बड़े पैमाने पर सफाई के इंतजाम किए जाएं। भारत में करोड़ों लोग रोजाना सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से सफर करते हैं और ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार सफाई का अतिरिक्त ध्यान रखे और लोग भी खुद से जागरूक रहें।

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इस तरह के आयोजनों से बचें

खेल जैसे बड़े आयोजनों में लोगों की भारी भीड़ जमा होती है। इस तरह के आयोजनों की वजह से कोरोना वायरस तेजी से फैलता है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस तरह के आयोजनों पर रोक लगे और लोगों की भीड़ एक स्थान पर जमा न हो सके। कई देशों ने कोरोना के खतरे को देखते हुए बड़े आयोजनों को टाल दिया है और भारत में भी इस तरह के आयोजनों पर रोक लगाई जा चुकी है।

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स्कूल और धार्मिक स्थल

कोरोना के खतरे को देखते हुए तमाम देशों की सरकारें अपने यहां के स्कूलों को फिलहाल बंद कर दिया है। परीक्षा की तारीखों को टाल दिया गया है। इतना ही नहीं धार्मिक स्थलों को भी बंद कर दिया गया है जिससे लोगों की भीड़ एक स्थान पर जमा न हो सके। भारत में भी स्कूलों को लेकर खास एडवाइजरी जारी की गई हैं। स्कूलों में छुट्टियां कर दी गई हैं और कई धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया है। कोरोना से बचाव का सबसे बेहतर तरीका इससे बचाव का है और ऐसे वक्त में जब यह पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन रहा है तो लोगों को भी सतर्कता बरतनी होगी।

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ऑफिस में बरतें एहतियात

कोरोना वायरस का सबसे व्यापक असर रोजमर्रा के काम काज पर पड़ रहा है। आलम ये है कि दुनिया के कई बाजार में आर्थिक सुस्ती देखने को मिल रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसे वक्त में लोगों से अपील करते हुए घर से काम करने और कंपनियों से मानवीय आधार पर लोगों का वेतन न काटने की अपील की है। कई दफ्तरों में भी कर्मचारियों को कोरोना से बचाव की सलाह दी जा रही है और कहा जा रहा है कि दफ्तर में आते या जाते वक्त हाथ न मिलाएं। कर्मचारियों को यह सलाह भी दी गई है कि वो अपना काम या तो पोन पर निपटा लें या घर से ही काम करें।

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अस्पताल

अब तक कोरोना वायरस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, ऐसे में अस्पतालों और डॉक्टरों की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है। अस्पतालों को कहा गया है कि कोरोना के संदिग्ध मरीज को अलग रखें और उनका इलाज या देखभाल करने वाले कर्मचारी अपनी सुरक्षा के लिए उचित संसाधनों, जैसे मास्क और बचाव करने वाले कपड़ों का प्रयोग करें। चिंता इस बात को लेकर भी है कि अगर मरीजों की संख्या बढ़ती है, तो अस्पताल इस स्थिति से कैसे निपटेंगे। फिलहाल भारत में कोरोना से निपटने के लिए मल्टीमीडिया कैंपेन शुरू हो रहा है। कैंपेन के जरिए कोरोना से बचाव, सावधानी और अफवाह से बचने के लिए जागरूक किया जाएगा।

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अलग-थलग रखने के उपाय

कोराना से संक्रमित मरीजों को अलग-थलग रखना बेहद जरूरी है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो वायरस को रोक पाना असंभव होगा। लेकिन यदि इस वायरस का संक्रमण फैलते है तो ऐसी पाबंदियां अधिक असरदार साबित हो पाएंगी इसमें संशय है। परेशानी इस बात की भी है कि अन्य देशों से आने वाले लोगों पर इस तरह के प्रतिबंधों को लागू आसान नहीं होगा।

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ये है तैयारी

भारत में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार की तरफ से 30-40 हजार लोगों पर नजर रखी जा रही है। देश के 30 एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग का पूरे इंतजाम किए गए हैं। 52 टेस्टिंग सेंटर बनाए गए है। आंध्र प्रदेश में 3, अंडमान निकोबार में 1, असम में 2, बिहार में 1, चंडीगढ़ में 1, छत्तीसगढ़ में 1, दिल्ली में 2, गुजरात में 2, हरियाणा में 2, हिमाचल प्रदेश में 2, जम्मू-कश्मीर में 2, झारखंड में 1, कर्नाटक में 5, केरल में 3, मध्य प्रदेश में 2, मेघालय में 1, महाराष्ट्र में 2, मणिपुर में 1, ओडिशा में 1, पुडुचेरी में 1, पंजाब में 2, राजस्थान में 4, तमिलनाडु में 2, त्रिपुरा में 1, तेलंगाना में 1, यूपी में 3, उत्तराखंड में 1 और पश्चिम बंगाल में 2 सेंटर बनाए गए हैं।

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अगले 14 दिन हैं अहम

कोरोना को देखते हुए अगले 14 दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना का वायरस किसी भी शरीर में 14 दिनों तक जिंदा रहता है। ऐसे में अगर आज से इसे रोकने का प्रयास किया जाए तो और अगले 14 दिन कोई नया मामला सामने नहीं आता है तो यह राहत की बात होगी। लेकिन, अगर इन दिनों में गंभीरता नहीं दिखाई गई तो हालात बिगड़ सकते हैं।

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