पंडित शशिशेखर त्रिपाठी 


अश्लेषा का अर्थ होता है आलिंगन करना। अश्लेषा नक्षत्र के समूह में 6 तारे हैं जो कि चक्राकार हैं। मतांतर से इसे सर्पाकार भी माना जाता है। अश्लेषा नक्षत्र के तारा चक्र को सर्पराज वासुकी के सिर में स्थान मिला है इसका संबंध सर्प की कुंडली से है। यह सबको समेटने वाला सुंदर व आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है।


सर्प को देवताओं का समिति और देवी शक्ति युक्त माना जाता है। भगवान विष्णु सर्प की शैय्या पर हैं। भगवान शंकर के आभूषण हैं सर्प। अश्लेषा नक्षत्र वंशानुगत गुणों व विशिष्ट क्षमताओं को भी प्रकट करता है। यह पूर्व जन्म के आधे अधूरे कार्यों को भी पूर्ण करने की भूमिका निभाता है। अश्लेषा नक्षत्र के देवता नागों के राजा शेषनाग को माना गया है।


राम के अनुज लक्ष्मण और कृष्ण के जेष्ठ भ्राता बलराम शेषनाग के ही अवतार हैं। विज्ञान जगत में तरंगे भी सर्पाकार रूप में ही चलती है। यह नक्षत्र कर्क राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की कर्क राशि है उनका यह नक्षत्र हो सकता है। नक्षत्र को जानने के बाद अब आपको बताते हैं कि अश्लेषा नक्षत्र में जिन लोगों का जन्म हुआ है उनके अंदर कौन से गुण विद्यमान होते हैं।



गुण


कांटे से कांटा निकलता है और विष ही विष की औषधि होती है। यानी यह लोग नकारात्मक ऊर्जा का सदुपयोग करने में बहुत माहिर होते हैं।


इस नक्षत्र के लोग साहसी और निडर होते हैं। कठिन से कठिन कार्य और चुनौती को लेने में पीछे नहीं हटते है।


इस नक्षत्र के लोग अपने शत्रुओं को बिल्कुल बर्बाद करके ही दम लेते हैं। या यूं कहें कि जो इनका शत्रु होता है उसका अहित करने के लिए यह किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।


ऐसे लोग पुलिस, सेना या फिर जहां पर मारक क्षमताएं दिखानी हों वहां के लिए परफेक्ट होते हैं।


इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित नहीं होते हैं। इनके अंदर आस्था भी कुछ कम होती है, या यूं कहें यह लोग बहुत प्रैक्टिकल जीवन जीते हैं।


ये लोग बहुत अधिक सिद्धांतों को लेकर नहीं चलते हैं। यह अपनी सुविधानुसार या देश काल परिस्थिति को देखते हुए अपने मार्ग को बदलते रहते हैं।


इस नक्षत्र के लोग दूसरों को महिमामंडित करने में माहिर होते हैं।


इस नक्षत्र के लोग उन प्रोफेशन में बहुत अच्छा काम करते हैं जिनमें जांच, कमियों को खोजना, प्रतिद्वंदियों को परास्त करने की रणनीति बनाना, सर्च ऑपरेशन आदि से संबंधित कार्य होते हैं।


सावधानियां


अश्लेषा नक्षत्र वालों को किसी का एहसान कभी नहीं भूलना चाहिए। इस बात को सदैव याद रखना चाहिए कि किस व्यक्ति ने किस परिस्थिति में मदद की थी। या यूं कहें कि विश्वासघात किसी से नहीं करना चाहिए।


इन लोगों को अपने पड़ोसियों के साथ संबंध बहुत मधुर रखने चाहिए क्योंकि अक्सर देखा गया है कि अश्लेषा नक्षत्र वाले व्यक्ति अपने पड़ोसियों को शत्रु मानने लगते हैं।


यदि इनको सोते से जगा दिया जाए तो यह अचानक चौंक कर उठते हैं और नाराज भी हो जाते हैं।


यदि इनके मन का काम ना हो तो ये बहुत जहर उगलने लगते हैं इसलिए अश्लेषा नक्षत्र वाले व्यक्ति को मधुर बोलना चाहिए।



कैसे बढ़ाएं पावर


अश्लेषा नक्षत्र वालों के लिए वनस्पति है- नागकेसर। यह असम के आर्द्र क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है। इसकी लकड़ी कठोर और मजबूत होती है। इसका पौराणिक नाम नाग है। इसका आर्युवेद में बहुत अधिक उपयोग होता है। नागकेसर के लिए विशेष तरह के वातावरण की आवश्यकता होती है इसलिए इसे हर जगह लगना संभव नहीं है। इसका विकल्प है चमेली। अश्लेषा नक्षत्र के लोगों को चमेली के पौधे को लगाना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए। चमेली को घरों में सामान्यता नहीं लगाया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि चमेली से सर्प आते हैं। चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर श्री हनुमान जी को चोला चढ़ाया जाता है। चमेली का तेल पीड़ा नाशक होता है और कहा जाता है कि भरत जी के बाण लगने के कारण हनुमान जी के पैरों में पीड़ा रहती है और चमेली का तेल लगते ही वह समाप्त हो जाती है।