पंडित शशिशेखर त्रिपाठी 


नक्षत्र का अर्थ होता है - न क्षरति, न सरति इति नक्षत्र अर्थात न गिरने वाला, न चलने वाला। जो स्थिर हो। नक्षत्र के विषय में बताने से पहले हम आपको यह बताना चाहते हैं कि राशि से सूक्ष्म है नक्षत्र। जैसे आपको किसी मित्र से मिलने जाना है और आपको केवल शहर पता हो तो इसको समझिये कि आप राशि पर खड़े हैं और यदि आपको उसके घर का पता मिल गया तो नक्षत्र स्तर की बात हो गई। दरअसल, नक्षत्र बहुत ही रिफाइन बात है। एक राशि का निर्माण सवा दो नक्षत्रों से होता है।


नक्षत्र 27 होते हैं जिसमें सबसे पहले नक्षत्र का नाम है अश्विनी। अश्विनी नक्षत्र का प्रतीक चिह्न घोड़े हैं। इस नक्षत्र को घोड़े के बहुत से गुणों के साथ जोड़ता है। घोड़ा यात्रा, आरंभ, गति, से जुड़ा हुआ है। घोड़ा गति तथा शक्ति के लिए भी जाना जाता है यानी हॉर्स पावर। अश्विनी नक्षत्र अपने आप में एक बहुत विलक्षण नक्षत्र है तथा इसके जातक भी बहुत से विलक्षण गुणों के धनी होते हैं। यह नक्षत्र मेष राशि में पड़ता है इसलिए मेष राशि वालों का यह नक्षत्र हो सकता है।


कथा


वैदिक ज्योतिष के अनुसार अश्विनी कुमारों को अश्विनी नक्षत्र का देवता माना जाता है। अश्विनी कुमार सूर्य देव के जुड़वा पुत्र हैं तथा वैदिक ग्रंथों के अनुसार अश्विनी कुमार चिकित्सा शास्त्र के भी ज्ञाता हैं। इन्होंने च्यवन ॠषि को वृद्धावस्था से मुक्त करके पुन: युवा बना दिया था। इसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी नक्षत्र जिन लोगों का होगा उनमें हीलिंग एनर्जी अधिक होती है। यहां तक की शनि देव के प्राणों की भी एक बार रक्षा की थी।



गुण


स्वभाव से उदार, दूसरों की सहायता को तत्पर रहने वाले होते हैं।


यात्रा करने में यह बहुत ही निपुण होते हैं। दौड़ भाग के काम सरलता से कर लेते हैं।


यह लोग विपत्ति में बिल्कुल भी घबराते नहीं हैं बल्कि धैर्य का परिचय देते हुए दूसरों की भी सहायता करते हैं।


अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग अपने कार्यों को पेंडिंग रखना पसंद नहीं करते हैं। यह कार्य शीघ्रता से करते हैं।


इन्हें प्रतीक्षा करना सामान्यतः बिल्कुल भी पसंद नहीं होता।


अश्विनी के जातक समय को व्यर्थ गंवाना बिलकुल भी पसंद नहीं करते।


पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने वाले होते हैं।


अश्विनी नक्षत्र वाले लोगों को रोगियों की मदद करनी चाहिए क्योंकि यह व्यक्ति किसी के प्राणों की रक्षा करने का निमित बन सकते हैं।


सावधानी


यात्रा करते समय वाहन दुर्घटना से सचेत रहना चाहिए।


इन लोगों को करंट, आग के प्रति सदैव सावधान रहना चाहिए। यदि आग, बिजली संबंधित कार्य ही करते हों तो सुरक्षा कसौटियों में ढिलाई न बरतें।


अश्विनि नक्षत्र के लोगों को खाना बनाते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए। खाना बनाने के बाद गैस ठीक बंद कर दें। भोजन सूती कपड़े पहन कर ही बनाएं।


किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें। ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे स्वास्थ्य को हानि हो।


तेज गाड़ी न चलाएं।



कैसे बढ़ाएं पावर


अश्विनि नक्षत्र वालों को अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए प्रकृति की मदद लेनी चाहिए। इस नक्षत्र वालों के लिए वनस्पति में कुचिला या कुचला पेड़ की सेवा करना सर्वोत्तम होता है। कुचिला का पौराणिक नाम कारस्कर है। कुचिला मध्यम ऊंचाई का वृक्ष होता है जो अधिकतर मध्य भारत एवं दक्षिण भारत में पाया जाता है। इसके टिकियानुमा बीजों का औषधि में बहुत अधिक महत्व है। अश्वनि नक्षत्र वालों को कुचिला के पौधे लगाने चाहिए और उसकी नियमित खाद पानी भी देना चाहिए। इन वृक्षों का सानिध्य, दर्शन एवं पूजन भी करते रहना चाहिए। जीवन में जितने अधिक से अधिक कुचिला वृक्ष लगाएंगे उतना ही जीवन सुखमय रहते हुए विष मुक्त रहेगा।