पंडित शशिशेखर त्रिपाठी 


अश्विनी नक्षत्र के बाद अब बात भरणी नक्षत्र की। नक्षत्र तारों का एक समूह है। भरणी नक्षत्र में तीन तारे हैं। भरणी का अर्थ भरण से है। भरण को वृहद रूप से समझना होगा। जहां पर बीज संरक्षित होकर पोषित हो। भरणी कलश, गर्भ के रूप में भी समझा जाता है। यह नक्षत्र बहुत ही गूढ़ नक्षत्र है। इस के नक्षत्र के देवता यम होते हैं। यम दिवंगत आत्माओं का शासक है यानी दूसरे लोक का प्रमुख है।


अष्टांग योग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि में सर्वप्रथम यम ही आता है इसलिए भरणी नक्षत्र अतिमहत्वपूर्ण हो जाता है। चूंकि भरणी यम का नक्षत्र है और यम पितरों के देवता हैं, इसलिए इस नक्षत्र में शुभ कार्यों को करना वर्जित बताया गया है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है, जिसकी वजह से ये लोग काफी आकर्षक और सुंदर होते हैं।



गुण


यह नक्षत्र भी मेष राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की मेष राशि है उनका यह नक्षत्र हो सकता है।


भरणी नक्षत्र वाले लोगों के अंदर क्रिएटिविटी जन्मजात होती है।


भरणी नक्षत्र वाले व्यक्ति को कोई गलत सूचना दे तो यह बहुत नाराज हो जाते हैं। इनके अफवाह फैलाना बिल्कुल पसंद नहीं होता है।


इन लोगों को चापलूसी पसंद नहीं होती है या दूसरे शब्दों में कहें कि स्पष्टवादी होते हैं।


यदि आपका बॉस या सबॉर्डिनेट भरणी नक्षत्र का है तो उसको केवल काम से ही प्रभावित किया जा सकता है। यहां बटरिंग से दाल नहीं गलेगी।


यह लोग दृढ़निश्चयी और किसी का पक्षपात नहीं करते हैं।


नियम कायदे कानून का पालन करने वाले होते हैं।


ऐश्वर्य भोगने की इच्छा रखने वाले होते हैं।


इनके मित्रों की संख्या काफी होती है और सामाजित दायरा बड़ा होता है।


लोगों के साथ घुलने मिलने में थोड़ा सा समय लगता है लेकिन बाद में काफी मिलनसार हो जाते हैं।


यह अपने काम में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते हैं। अपनी धुन के पक्के होते हैं।


अनावश्यक रूप से धन खर्च करने से बचकर चलते हैं।


समस्याओं से भागते नहीं है यह उनका डट कर मुकाबला करते हैं।


सावधानी


भरणी नक्षत्र वालों को अनावश्यक रूप से किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहिए।


जीवन में बेवजह की प्रतिस्पर्धा से बचना चाहिए। अनावश्यक रूप से अपनी तुलना हर किसी से नहीं करनी चाहिए।


अति भोग विलास से दूर रहना चाहिए।



कैसे बढ़ाएं पावर


भरणी नक्षत्र को और मजबूत करते हुए वनस्पतियों में आंवला के प्रति भावनात्मक लगाव और श्रद्धा को जन्म देना होगा। आंवले का पौराणिक नाम धात्री है। आंवले के फल को अमृत फल भी कहा गया है। यह बहुत ही सामान्य किन्तु बहुत गूढ़ बात है कि भरणी नक्षत्र वालों को आंवले का पौधा लगाना चाहिए। लगाने के साथ-साथ उनकी पूजा, संरक्षण एवं फल भी ग्रहण करना चाहिए। वैसे से यह हर जगह पाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में अधिक तादाद में होता है। भरणी नक्षत्र वाले व्यक्तियों को कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी जिसे आखा नौवमी भी कहते हैं इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना चाहिए। आंवले के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।