चित्रा नक्षत्र बहुत ही चमकदार तारा है, इसे विश्वकर्मा या ब्रह्मा का निवास स्थान माना जाता है। भचक्र में मध्य भाग में होने से इसे संतुलन नक्षत्र कहा जाता है। चित्रा शब्द चित्र से बना है, जिसका अर्थ है- उज्जवल, रुचिकर, आश्चर्यजनक एवं अद्भुत। चित्रा का एक अर्थ चित्त भी है।


चित्रा शब्द का प्रयोग प्रत्यक्ष, ज्ञात, विचार, चिंतन, संकल्प, इच्छा, अभिलाषा में किया जाता है। चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी हैं। चित्रा नक्षत्र कन्या राशि और तुला राशि के मध्य का सेतु है, इसलिए जिन लोगों की कन्या या तुला राशि होगी उनका चित्र नक्षत्र हो सकता है। चित्रा नक्षत्र वाले लोगों के अंदर क्या-क्या गुण होते हैं चलिए ये भी जानते हैं।



गुण


चित्रा नक्षत्र हीरे से भी संबंधित होता है। हीरे को मूल्यवान इसलिए माना जाता है क्योंकि उसने दुख, कष्ट सहकर चमक पाई है। इसलिए चित्रा नक्षत्र वालों में तप करके अपनी योग्यता साबित करने की क्षमता होती है।


चित्रा नक्षत्र में जो लोग जन्म लेते हैं उनके अंदर कुछ नया, अनोखा, अद्भुत कार्य करने की क्षमता होती है। अर्थात चित्रा नक्षत्र के जातक गतिशील, ऊर्जावान, उत्साही और कुछ विचित्र काम करने के इच्छुक होते हैं।


यह लोग बातचीत में समाज के कल्याण के विषय में प्रायः अधिक बात करते हैं।


चित्रा नक्षत्र में जिन लोगों का जन्म होता है, वे लोग सौंदर्य, संतुलन और अच्छा दिखने के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं।


यह लोग पर्दे के पीछे रहकर काम करना ज्यादा अच्छा समझते हैं क्योंकि इनको व्यर्थ की आलोचनाएं बिल्कुल पसंद नहीं होती हैं।


कन्या राशि वालों का यदि चित्रा नक्षत्र है तो इनके अंदर कार्यशैली पर विशेष ध्यान देने की क्षमता होती है। यानी यह अपने काम को बहुत अच्छे तरीके से करते हैं। या यूं कहें कि अपना काम बहुत परफेक्ट करते हैं।


वहीं तुला राशि में यदि चित्रा नक्षत्र है तो यह लोग क्रिएशन के बजाय उसके डेकोरेशन पर बहुत ध्यान देते हैं। साथ में उसका उपभोग करने की भी इच्छा रखते हैं।


इस नक्षत्र में जन्में लोगों की कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बहुत रुचि होती है। इनको चमत्कृत करने वाली तकनीकी विद्या बहुत भाती है।


सावधानियां


कई बार ऐसा हो सकता है कि कुछ नया करने के चक्कर में समाज के लिए कुछ नुकसानदायक कदम भी उठा लें, इसलिए इन लोगों को सोच-विचार करके ही कोई कार्य करना चाहिए।


चित्रा नक्षत्र वाले लोग अपनी कमियों को जल्दी उजागर नहीं करते हैं। इसलिए अपनी कमियों को ठीक करते हुए चलना चाहिए। ताकि कहीं पर भी विषम परिस्थिति का सामना न करना पड़े।


यह लोग पराजय देख कर बहुत क्रोधित एवं कुंठित हो जाते हैं, इसलिए पराजय के बाद धैर्य रखना बहुत जरूरी है।



कैसे बढ़ाएं पावर


बिल्व, बेल या बेल पत्थर, भारत में होने वाला फल है। यह प्रायः सभी जगह पाया जाता है। इसमें पेट संबंधी रोगों का शमन करने की अद्भुत क्षमता होती है। गर्मी के मौसम में बेल का शर्बत या रस पेट के लिए बहुत उत्तम होता है। धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे शिव मंदिरों के पास लगाया जाता है। इसे भगवान शिव का रूप ही माना जाता है। इस नक्षत्रों वालों को अधिक से अधिक बेल का वृक्ष लगाना चाहिए, इससे इनका नक्षत्र मजबूत होता है।