ख्याति और उन्नति प्राप्त करते हैं धनिष्ठ नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति, परिवार का नाम रोशन करती हैं कन्याएं
धनिष्ठा नक्षत्र की कन्याएं नृत्य करने में बहुत पारंगत होती हैं। यह गुण इनमें जन्मजात होता है। यदि इनको विधिवत शिक्षा दी जाए तो यह अपने परिवार का नाम रोशन करती हैं।
पंडित शशिशेखर त्रिपाठी
धनिष्ठा नक्षत्र 4 तारों का समूह, ढोल या मृदंग की आकृति का आभास देता है। दोनों वाद्य यंत्र भीतर से खोखले होते हैं, यहां खोखले का अर्थ है अहंकार न होना। तथा इनके चमड़े के बाहरी आवरण पर थाप पड़ने से ध्वनि उत्पन्न होती है। भजन कीर्तन में मृदंग व ढोल का प्रयोग किया जाता रहा है। प्राचीन भारत में धनिष्ठा को श्रविष्ठा कहते थे। धनिष्ठा का अर्थ होता है धन संपदा से पूर्ण।
इस नक्षत्र के देवता 8 वसुओं को माना गया है। वसु का अर्थ है उत्कृष्ट, श्रेष्ठ मणि व रत्न, धन-वैभव, समृद्धि, कुबेर। आठ वसुओं में पहले आप, दूसरे ध्रुव, तीसरे सोम, चौथे धर, पांचवे अनिल, छठे अनल, सातवें प्रत्यूष, आठवें प्रभास। यह नक्षत्र मकर राशि और कुंभ राशि को जोड़ने वाला नक्षत्र है, इसलिए जिन लोगों की मकर और कुंभ राशि है, उन लोगों का धनिष्ठा नक्षत्र हो सकता है। धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों में कौन-कौन से गुण होते हैं चलिए ये भी जानते हैं।
गुण
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे बालक शैशव अवस्था से ही अन्य बालकों की अपेक्षा बहुत अधिक चंचल व सक्रिय रहते हैं। छोटे बच्चे जल्दी माता-पिता की पकड़ में नहीं आते हैं। यह बच्चे बिस्तर से बहुत जल्दी गिर जाते हैं। अपनी चंचलता के कारण एक पल के लिए यहां तो दूसरे पल दूसरी जगह दिखाई देते हैं।
इस नक्षत्र के जन्मे लोगों में संगीत और नृत्य में बहुत रुचि होती है। यह लोग बचपन से ही डांस और संगीत क्षेत्र में अपनी रूचि बनाकर रखते हैं।
इन लोगों का मुख्य उद्देश्य होता है कि इस संसार को, अपने देश को, अपने शहर को अधिक से अधिक बेहतर और सुंदर कैसे बनाया जाए। यह लोग सामाजिक कार्यों में भी बहुत बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस क्षेत्र में यह लोग बहुत ख्याति और उन्नति प्राप्त होती हैं।
इन लोगों में दीन दुखियों के प्रति बहुत अधिक सहानुभूति होती है और यह अपना धन उनके कष्टों को दूर करने में लगाते हैं। आर्थिक रूप से यह लोग मजबूत होते हैं। पूर्व जन्म से ही यह अपने खाने-पीने की व्यवस्था करके चलते हैं।
धनिष्ठा नक्षत्र के लोगों का स्वभाव सभी लोगों के साथ घुलमिल जाने वाला होता है। यह लोग बहुत कम समय में बहुत प्रगाढ़ मित्रता करने के गुण रखते हैं। इनके मित्र भी खूब होते हैं।
लोगों को खिलाने-पिलाने में, किसी का पालन पोषण करने में बिल्कुल पीछे नहीं हटते हैं। अपनी आर्थिक क्षमतानुसार यह मदद अवश्य करते हैं, यानी इनके अंदर पालन करने की क्षमता होती है।
धनिष्ठा नक्षत्र की कन्याएं नृत्य करने में बहुत पारंगत होती हैं। यह गुण इनमें जन्मजात होता है। यदि इनको विधिवत शिक्षा दी जाए तो यह अपने परिवार का नाम रोशन करती हैं।
इनके अंदर आध्यात्मिक शक्ति भी पूर्ण मात्रा में होती है यह लोग भगवान से डरने वाले हैं और गलत काम करने से पहले कई बार विचार अवश्य करते हैं। किसी भी धार्मिक कार्यक्रमों में अपना योगदान भी देते हैं।
सावधानियां
धनिष्ठा नक्षत्र वाला व्यक्ति अहंकार के कारण कटु वचन बोल सकता है इसलिए अहंकार को कम रखते हुए मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए।
धनिष्ठा नक्षत्र वालों को अपने आहार में बहुत सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि अग्नि तत्व अधिक होने के कारण उनको एसिडिटी की समस्या अधिक रहती है।
इस नक्षत्र के लोगों को अपने दांपत्य जीवन में सुख शांति बनाए रखने के लिए थोड़ी अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। दांपत्य जीवन में मनमुटाव और तनाव की आशंका अधिक रहती है।
कैसे बढ़ाएं पावर
धनिष्ठा नक्षत्र की वनस्पति है शमी। शमी का दूसरा नाम खेजड़ी भी है। यह मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा भी है। इसके अनेक औषधीय गुण भी हैं। पांडवों द्वारा अज्ञातवास के अंतिम वर्ष में गांडीव धनुष इसी पेड़ में छुपाए जाने के उल्लेख मिलते हैं। इसी प्रकार लंका विजय से पूर्व भगवान राम द्वारा शमी के वृक्ष की पूजा का उल्लेख मिलता है। शमी को वृक्ष को लगाना चाहिए और उसकी सेवा करनी चाहिए, इससे लाभ होगा।