पंडित शशिशेखर त्रिपाठी 


कृतिका का नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है। कार्तिकेय देवताओं की दिव्य सेना के सेनापति हैं। कार्तिक शब्द का अर्थ है तीर की नोक, चाकू की नोक, हल का फल। कार्तिक का एक गूढ़ अर्थ ज्वाला भी है और कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव है। अग्नि यानी ऊर्जा का समूह। यह शक्ति है। अग्नि जीवन की प्राण ऊर्जा है। जीवन रहने के लिए शरीर का निश्चित तापमान में गर्म रहना अनिवार्य है।


अग्नि के माध्यम से ही हम लोग परमात्मा से संबंध स्थापित करते हैं। पंच तत्वों में अग्नि प्रथम एवं प्रधान है। अग्नि पवित्र है इसीलिए वैदिक संस्कारों अग्नि को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है। इस नक्षत्र का कुछ अंश मेष राशि में और शेष वृष राशि में आता है। अतः मेष या वृष वाले व्यक्तियों का कृतिका नक्षत्र हो सकता है।



कृतिका नक्षत्र वाले व्यक्ति के गुण


इस नक्षत्र के लोगों पर सूर्य का प्रभाव होता है और इनमें आत्मसम्मान का भाव बहुत ज्यादा होता है।


इन्हें जल्दी किसी पर भरोसा नहीं होता और इनका स्वभाव तुनकमिजाज होता है।


इनमें ऊर्जा खूब होती है और कोई भी काम बहुत लगन और मेहनत से करते हैं, इनको बंदिशे पसंद नहीं होती हैं।


प्रेम में इनका भरोसा होता है और रिश्ते बनाने में माहिर होते हैं।


गलत तरीकों या दूसरों की दया से कुछ भी लाभ लेना नहीं चाहते हैं क्योंकि ये लोग बहुत ही स्वाभिमानी होते हैं।


कृतिका नक्षत्र वाले लोगों को जीवन में बड़े एवं चुनौतीपूर्ण कार्य प्राप्त होते हैं यानी परमात्मा इनके माध्यम से जटिल कार्यों को सम्मन्न कराता है।


यह लोग सदैव लक्ष्य निर्धारित करके ही कार्य करते हैं।


कृतिका वाले व्यक्ति अपने कार्यों को प्रसारित करते रहते हैं और अपने काम का एरिया भी बढ़ाते चलते हैं।


वैसे यह लोग टेक्निकल माइंड के होते हैं और अपने कार्य को कराने हेतु अद्भुत प्रबंधन क्षमता रखते हैं।


कृतिका नक्षत्र वाले व्यक्तियों में कंजरवेटिव प्रवत्ति होती है। जैसे पुरानी मान्यताओं के प्रति इनका लगाव होता है। यह पारम्परिक मान्यताओं को पूरे भाव से मानते हैं उसमें बुद्धि नहीं लगाते है।


इनका विवाह प्रायः स्वयं की मर्जी एवं सहमति से ही होती है। इनका विवाह दबाव में नहीं कराया जा सकता है।


सावधानियां


इस नक्षत्र वाले व्यक्तियों को इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए कि किसी से भी बात करें तो बहुत ही सभ्यता से करें। प्रायः कृतिका वाले असभ्यता से बात कर जाते हैं जिससे उन्हें ही नुकसान उठाना पड़ जाता है।


राजसिक प्रवृति के साइड एफेक्ट को भी समझना पड़ेगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह नुकसान देय होता है। यानी हर कार्य अपनी मर्जी और मूड से नहीं किये जा सकते हैं।


स्वास्थ्य संबंधित सावधानियां बरतनी चाहिए। खास तौर से नेत्र, पित्त, गैस्ट्रिक समस्या, दिमागी बुखार, सिर की गर्मी से संबंधित रोग होने की प्रबल आशंका रहती है। कृतिका नक्षत्र के लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत रहना चाहिए।



कैसे बढ़ाएं पावर


कृतिका नक्षत्र वालों को अपने नक्षत्र को बलवान एवं पूर्ण प्राप्त करने के लिए गूलर के वृक्ष की सेवा करनी होगी। इसका पौराणिक नाम उदुम्बर है। यह हर स्थान में पाया जाता है, इसको ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लगाया जाता है। यह पंचपल्व में से एक हैं। इसकी लकड़ी का प्रयोग हवन की समिधा में होता है। इसका फल पित्त, उदर, मूत्र रोग एवं जोड़ संबंधी रोगों के लिए लाभप्रद होता है। इस पेड़ के दूध का प्रयोग भी दवाओं में काम आता है। इस वनस्पति की सभी चीजें औषधि में प्रयोग होती है इसीलिए पंचपल्व में इसको स्थान दिया गया है। कृतिका नक्षत्र वालों को अपने उत्तथान के लिए अधिक से अधिक गूलर के पेड़ लगाने चाहिए और रोज जल देना चाहिए। अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना भी करनी चाहिए।