कुशल और कर्तव्यनिष्ठ होते हैं मूल नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति, डटकर करते हैं चुनौतियों का सामना
मूल नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी नृति को माना गया है। इसे प्रलयंकर शिव की संहार शक्ति मानते हैं। पौराणिक साहित्य में देवी नृति को अधर्म व हिंसा की पुत्री तथा भय व मृत्यु की माता माना गया है। मूल नक्षत्र धनु राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की धनु राशि है उनका मूल नक्षत्र हो सकता है।
पंडित शशिशेखर त्रिपाठी
मूल नक्षत्र का मुख्य तारा शौला बिच्छू का डंक है इस तारे की सतह का तापमान 30 हजार सेल्सियस आंका गया है। मूल नक्षत्र सबसे दक्षिणी नक्षत्र हैं। मूल का अर्थ है किसी पेड़ या पौधे की जड़। केंद्र बिंदु या सार तत्व। नक्षत्र का नाम ही उसके गुणों की पहचान करा देता।
मूल शब्द का अर्थ जड़ है। जड़ सदा भूमि के भीतर ही छिपी रहती है। अतः मूल नक्षत्र का संबंध भूमि में दबी हुई, छिपी हुई तथा गुप्त, अनजाने क्षेत्र व अज्ञात घटनाओं के साथ माना जाता है। जो भी छिपा हुआ है। अंजाना है। गुप्त रहस्य है उसका कार्यकत्व मूल नक्षत्र को प्राप्त है।
मूल नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी नृति को माना गया है। इसे प्रलयंकर शिव की संहार शक्ति मानते हैं। पौराणिक साहित्य में देवी नृति को अधर्म व हिंसा की पुत्री तथा भय व मृत्यु की माता माना गया है। मूल नक्षत्र धनु राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की धनु राशि है उनका मूल नक्षत्र हो सकता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि मूल नक्षत्र में जिन लोगों का जन्म हुआ है उनके अंदर कौन-कौन से गुण होते हैं।
गुण
मूल नक्षत्र को नक्षत्र पुरुष भगवान विष्णु के दोनों पैर माना गया है। जिस प्रकार पैर समूची देह का भार उठाते हैं उसी भांति मूल नक्षत्र का जातक दायित्व और निर्वाहन में कुशल और कर्तव्यनिष्ठ होता है।
मूल नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति के अंदर किसी भी बात की तह तक पहुंचने और समस्या के मूल कारणों को जानने की अद्भुत क्षमता होती है। यह लोग जबरदस्त खोजी प्रवृत्ति के होते हैं।
इन लोगों का हर कार्य करने का कोई ना कोई कारण अवश्य होता है, यह बेवजह के काम नहीं करते हैं। साथ ही ये लोग जो लक्ष्य तय कर लेते हैं उसको पाने तक चैन से नहीं बैठते हैं।
मूल नक्षत्र वाले व्यक्ति बहुत जुनूनी होते हैं। यह कठिनाइयों को देखकर हताश नहीं होते, बल्कि चुनौतियों को ललकारते हुए उनका सामना करते हैं।
यह लोग अनुपयोगी चीजों का संग्रह नहीं करते हैं, यानी कोई चीज खराब हो गई है, तो उसको हटा देना ही पसंद करते हैं। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि कबाड़ इकट्ठा करने का शौक नहीं होता है।
मूल नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति परिवार को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति होते हैं। यह जिम्मेदारियों को उठाने में तनिक भी परेशान नहीं होते हैं।
मूल नक्षत्र वाले व्यक्ति के पुण्य चमत्कारिक रूप से सामने आते हैं और यश, प्रतिभा, धन यह सब प्राप्त करने वाले होते हैं। यही नहीं इनमें कुछ चमत्कारी शक्ति भी होती है या यूं कहें कि प्रभु कृपा इन पर रहती है।
इस नक्षत्र के जन्मे व्यक्ति कर्मठ व सक्रिय होते हैं। इनके अंदर अपने विचारों को क्रियान्वित करने में देर करने की आदत नहीं होती है।
यह लोग अगर इन्वेस्टिगेशन टीम के सदस्य हों तो बहुत सफल होते हैं साथी खुफिया एजेंसियों में महत्वपूर्ण पदों में बैठने की प्रतिभा रखते हैं।
सावधानियां
इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हिंसा, विध्वंस, विनाश, तोड़फोड़ करने में संकोच नहीं होता। इसलिए इस नक्षत्र वालों को अपना दिमाग ठंडा रखना चाहिए और हमेशा जोश के साथ होश में काम करना इनके जीवन का मूल मंत्र होना चाहिए।
मूल नक्षत्र के जन्मे व्यक्ति क्षोभ व उद्विग्नता से परेशान होकर नकारात्मक विचारों को लेकर आत्मघाती कदम उठा सकते है, इसलिए मूल नक्षत्र वाले व्यक्तियों को जब भी नकारात्मक विचार आएं तो उन्हें आत्मबल नहीं खोना चाहिए।
इनके अन्दर जो भी गुण होते हैं उसके साइ़ड एफेक्ट पर भी ध्यान देना चाहिए। जैसे खोजी प्रवत्ती व कठोरता उपयोगि विभाग में गुण है लेकिन भावनात्मक रिश्तों में यही अवगुण हो जाते हैं।
कैसे बढ़ाएं पावर
शाल या साखू यह तराई जगहों में बहुतायत में पाया जाता है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है। पौराणिक नाम अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहते हैं। इस वृक्ष की उपयोगिता मुख्यत: इसकी लकड़ी में है जो अपनी मजबूती के लिए प्रख्यात है। इसका प्रयोग धरन, दरवाजे, खिड़की के पल्ले, गाड़ी और छोटी-छोटी नाव बनाने में होता है। मूल नक्षत्र वालों को इस पेड़ के संरक्षण में अपना योगदान अवश्य देना चाहिए। ऐसा करने से यह नक्षत्र मजबूत होता है।