पंडित शशिशेखर त्रिपाठी


श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन वाले दिन चंद्रमा श्रवण नक्षत्र पर होता है। कहा जाता है कि वामन अवतार में भगवान विष्णु ने जब तीन पग भूमि मांगी थी तो उनका पांव आकाश में श्रवण नक्षत्र पर ही पड़ा था। विद्वानों ने श्रवण नक्षत्र के तीन तारों को भगवान विष्णु के तीन चरण माने हैं। उनका विचार है, राजा बलि का यज्ञ भंग कर देवताओं का स्वर्ग पर अधिकार बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने ऐसा किया था। वे विराट पुरुष, वामन बनकर यज्ञ भूमि में पधारे व तीन पग भूमि की याचना की। एक पग में समूची धरती, दूसरे में आकाश नापकर, तीसरा पग स्वयं राजा बलि के शीश पर रखकर उसे पाताल का राज्य प्रदान किया।


श्रवण शब्द का अर्थ है सुनना, अध्ययन, ख्याति और कीर्ति। श्रवण से ही श्रुति व स्मृति बना जो कि पुराण साहित्य का मूल आधार है। कुछ विद्वान तीन तारों में त्रिलोक, त्रिकाल व त्रिगुण देखते हैं। कहीं-कहीं श्रवण नक्षत्र के तीन तारों को भगवान शिव का त्रिशूल माना गया है। कभी श्रवण नक्षत्र की तुलना मनुष्य के कान से की जाती है, क्योंकि श्रवण का अर्थ सुनना भी होता है।


श्रवण नक्षत्र का देवता भगवान विष्णु को माना गया है। संसार का भरण पोषण, प्रबंधन व्यवस्था व विभिन्न शक्तियों का संतुलन बनाए रखना ही भगवान विष्णु का कार्य है, इसलिए भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं। श्रवण नक्षत्र मकर राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की राशि मकर है उनका श्रवण नक्षत्र हो सकता है। श्रवण नक्षत्र के जातकों के कौन-कौन से गुण होते हैं चलिए ये भी जानते हैं।



गुण


श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति जब भी अपने मित्रों के साथ बात करते हैं तो बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से बात करते हैं। यह लोग बहुत आक्रामक रूप से चिल्लाकर बात करना बिल्कुल नहीं पसंद करते।


श्रवण नक्षत्र के साथ एक खास बात यह होती है कि इन लोगों को दोस्ती करना बहुत अच्छा लगता है। ये लोग नये-नये लोगों से बहुत जल्दी कनेक्ट हो जाते हैं। यह लोग जब यात्रा कर रहे होते हैं तो अपरिचित लोगों से बहुत जल्दी वार्ता प्रारंभ कर देते हैं।


ये लोग थोड़ा बिजनेस माइंडेड होते हैं, लेकिन इनके अंदर संतुलित मात्रा में मुनाफा कमाने की लालसा होती है। यह लोग बहुत लोभी नहीं होते हैं। साथ ही जो धन कमाते हैं उसका कुछ अंश चैरिटी में भी देते हैं।


श्रवण नक्षत्र के लोग छोटे-छोटे लक्ष्य बनाना पसंद नहीं करते हैं, इनका लक्ष्य सदैव बड़ा होता है और उसको पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं और सफल भी होते हैं।


कार्य को अधूरा छोड़ना इन लोगों को अच्छा नहीं लगता है। यह लोग कार्य पूरा करके ही दम लेते हैं। इसीलिए कहा भी गया है कि श्रवण नक्षत्र में जो भी कार्य प्रारंभ किया जाए वह कार्य अपने लक्ष्य तक पहुंचता है।


यह लोग कुशल वक्ता होते हैं। यदि इन लोगों को सही मंच मिल जाए तो यह अपनी बात को बहुत ही सरलता के साथ जनमानस तक पहुंचाने में दक्ष होते हैं।


यह लोग जन संचार, मीडिया, पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत सफल होते हैं और लोकप्रिय भी होते हैं। यह नक्षत्र सामाजिक रूप से सक्रिय नक्षत्र है, इसलिए यह लोग समाज से जुड़ी हुई चीजें, चाहे वह व्यापार हो या राजनीति हो या फिर समाज सेवा हो, इन सबको प्रमुखता से करने में ज्यादा रुचि लेते हैं।


सावधानियां


इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों को सिद्धांत और न्याय संगत कार्य करना चाहिए, क्योंकि मन में कई बार नकारात्मक विचार आ सकते हैं और गलत तरीके से धन कमाने का विचार मस्तिष्क में कौंध सकता है।


यदि श्रवण नक्षत्र वाले व्यक्ति की संगत बिगड़ जाए तो यह पथ भ्रमित हो जाते हैं और गलत रास्ते पर चलते हुए गलत लक्ष्य साध लेते हैं। इसलिए यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि जो लक्ष्य साधा है वह नैतिक हो समाज में मान्य हो।


इन लोगों को दूसरों पर क्रोध जल्दी नहीं आता है लेकिन जब आ जाता है तो काफी लंबे समय तक यह उस व्यक्ति से क्रोधित रहते हैं। और अपने मन में उसके प्रति पूर्वाग्रह भी पाल लेते हैं। ऐसा करना इनको व्यापारिक और सामाजिक दोनों ही रूप से नुकसान करता है।



कैसे बढ़ाएं पावर


श्रवण नक्षत्र वालों की वनस्पति मदार है। इसका पौराणिक नाम अर्क है। इसको मंदार', आक, और अकौआ भी कहते हैं। इसके पत्ते, बरगद के पत्तों के समान मोटे होते हैं। इसका फूल सफेद होता है। आक की शाखाओं से दूध निकलता है। इसका उपयोग दवाओं में होता है। इसके फूल को गणेश जी की पूजा में शामिल किया जाता है। इसको घर में लगाना चाहिए और इसको जल देना चाहिए। श्रवण नक्षत्र वालों को आक के वृक्षों को लोगों को उपहार स्वरूप देना चाहिए। इसको ग्रीन बेल्ट में लगाना चाहिए। इनकी देखभाल करनी चाहिए। इसके पुष्प को गणेश जी के मंदिर में अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से नक्षत्र बलवान होगा और अपने समस्त शुभफल प्रदान करेगा।