पंडित शशिशेखर त्रिपाठी
उत्तराभाद्रपद की नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र से संबंधित होता है। उत्तराभाद्रपद का अर्थ है शुभ पांव वाला। यह बात पूर्वाभाद्रपद में भी थी, लेकिन पूर्वाभाद्रपद में चापाई के आगे के पांव थे। उत्तराभाद्रपद में पीछे के पांव हैं जो कि शुभ माने जाते हैं। इसको मृत्यु शैय्या के पीछे का पांव भी कहा गया है। इसके पीछे का जो दर्शन है वह यह है कि मीन राशि अंतिम राशि होती है और इस लोक से परलोक जाने के संकेत देती है।
इस नक्षत्र के देवता अतिर्बुधन्य को माना गया है। इनके नीचे का भाग सर्प की भांति और ऊपर का हिस्सा किसी कल्याणकारी देवता की भांति होता है। देवता दायां हाथ अभय मुद्रा वाला होता है। इन्हें भगवान विष्णु को शैय्या प्रदान करने वाला माना गया है। शेषनाग जिनके सिर पर धरती टिकी है, यह भी माना गया है। यह नक्षत्र मीन राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की मीन राशि है, उनका उत्तराभाद्रपद नक्षत्र हो सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में जो लोग जन्म लेते हैं उनके अंदर कौन-कौन से गुण विद्यमान होते हैं।
गुण
इस नक्षत्र के जातक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, बहुत सोच-समझकर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।
इन लोगों के सभी कार्यों में समझदारी झलकती है। भावनाओं में बहकर या आवेश में आकर ऐसा कुछ नहीं करते हैं, जिससे कि इन्हें आगे चलकर दिक्कत हो।
यह लोग समुद्र की भांति धीर-गंभीर, मर्यादा का पालन करने वाले होते हैं। यह लोग बहुत गुणी होते हैं।
इस नक्षत्र के व्यक्ति का स्वभाव बहुत लचीला और सौम्य होता है।
यह लोग संयम और अनुशासन के साथ काम करने वाले होते हैं तथा दूसरों से भी यही चाहते हैं कि अनुशासन में रहकर पूरी सावधानी के साथ निर्णय लें।
इस नक्षत्र के लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। समस्या ग्रस्त लोगों को यह सटीक और उपयोगी सलाह देते हैं।
यह लोग कैल्कुलेशन में भी बहुत एक्पर्ट होते हैं। इसके अलावा यह किसी विशेष विषय में गहन चिन्तन या शोध करने में भी पारंगत होते हैं।
यह लोग कठिन और विषम परिस्थितियों में विचलित नहीं होते हैं तथा प्रसन्न मन संतुलित मस्तिष्क के साथ कार्य करते हैं।
सावधानियां
इन लोगों को सुख सुविधा अधिक प्राप्त हो जाए तो इनके अंदर आलस्य की भावना आ जाती है। इसलिए इन लोगों को एक्टिव रहना चाहिए।
यदि इनके मन मुताबिक काम न किया जाए तो यह क्रोधित हो जाते हैं। क्रोध के दौरान अतिकटु वजन बोलने से भी परहेज नहीं करते हैं। इसलिए इन्हें विषम परिस्थिति में विवेक से काम लेना चाहिए।
यह लोग अचानक हुए परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। यह अपनी कल्पनाओं को खण्डित होते नहीं देख पाता हैं। जिसके कारण कभी-कभी यह परिस्थिति में अनफिट दिखाई देते हैं।
कैसे बढ़ाएं पावर
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की वनस्पति होती है नीम। नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पूर्ण पतझड़ पेड़ है। नीम की विशेषताओं के विषय में तो सभी लोग परिचित है। नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो बहुतायत में पाई जाती है। आयुर्वेद में नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है। इसका स्वाद तो कसैला होता है लेकिन इसके फायदे अनेक होते हैं। इस वृक्ष की जड़ से लेकर फल तक औषधीय गुणों से पूर्ण है। चर्म रोगों और रक्त शोधन के लिए तो यह रामबाण औषधि है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वालों को नीम का पेड़ अधिक से अधिक लगाना चाहिए इससे उनके जीवन में सुख समृद्धि आती है।