जानें- कैसे बनता है गजकेसरी योग, कुंडली पर पड़ता है क्या प्रभाव
एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम समय चक्र में आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने बताया सभी 12 राशियों का सटीक राशिफल....साथ ही बताया कि गजकेसरी योग का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
पंडित शशिशेखर त्रिपाठी
एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम समय चक्र में आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने बताया सभी 12 राशियों का सटीक राशिफल....साथ ही बताया कि गजकेसरी योग का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
चंद्रमा और गुरु के कनेक्शन से बनता है गजकेसरी योग।
योग ही कुंडली को दूसरी कुंडली से अलग करता है।
जो भी योग है सभी काल पुरुष की कुंडली से बने हैं।
यह चंद्रमा और गुरु का योग है।
चंद्रमा कालपुरुष की कुडंली में सुख भाव का स्वामी होता है। सुख बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। सभी भाव इसी सुख प्राप्ति के लिए वर्क करते हैं।
गुरु धर्म और मोक्ष भाव का स्वामी है यानी लाइफ का अल्टीमेट गोल तक पहुंचाने वाला होता है गुरु।
सुख और धर्म मिलकर अच्छा ही फल करेंगे। इसलिए गजकेसरी योग एक शुभयोग है।
क्वालिटी के हिसाब से जितना अच्छा चंद्रमा और गुरु होंगे उतना ही अच्छा यह योग बनेगा।
चंद्रमा का पक्ष बली और गुरु मजबूत होना जरूरी है।
चंद्रमा और गुरु को सबसे अधिक खराब करने वाला ग्रह है राहु। यदि राहु गुरु के साथ आ जाए तो वह गुरु को भ्रष्ट करने की ताकत रखता है और वहीं यदि चंद्रमा को पकड़ ले या युत हो जाए तो चद्रमा को भी निर्बल और मलीन कर देता है। अब राहु की वजह से गुरु और चंद्रमा का रिजल्ट नहीं अच्छा मिलेगा।
उदाहरण के तौर पर यदि दूध और हल्दी मिलाकर स्वास्थ्यवर्धक होगा। लेकिन दूध का गिलास गंदा हो...दूध ठीक न हो...हल्दी मिलावटी हो तो फिर उसका फल कैसे अच्छा होगा...ठीक उसी प्रकार गजकेसरी को बनाने वाले ग्रह मजबूत होने चाहिए।
कैसे बनता है गजकेसरी योग
चंद्रमा से केंद्र में गुरु हो तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है…केंद्र का अर्थ है चंद्रमा के साथ हो या चंद्रमा चौथे भाव में हो या सातवें भाव में या दसवें भाव में हो तो गजकेसरी योग होता है।
गजकेसरी का अर्थ है कि राजा के समान जो हाथी पर सवार हो...इंद्र का वाहन है हाथी यानी बहुत सम्मानित योग है। अब राजा और हाथी के मर्म को समझना होगा।
जो भी जहां होगा उसका सम्मान मिलेगा।
कुंडली में इस योग से स्टेटस मिलता है।
स्टेटस कई जगह से आता है..पैतृक व स्वयं।
प्रत्येक शुभता को धन से नहीं जोड़ना है।
यह राजा सी प्रवृत्ति देता है।