लखनऊ, एबीपी गंगा। श्री कृष्ण जन्मोत्सव पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस व्रत को व्रतराज कहते हैं। सभी व्रतों में यह व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन वृष राशि में चंद्रमा व सिंह राशि में सूर्य था। इसलिए श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में ही मनाया जाता है। लोग रातभर मंगल गीत गाते हैं और भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं।


रोहिणी नक्षत्र का है खास महत्व
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में होने के कारण इसको कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं। श्री कृष्ण जन्मोत्सव में पूजन विधि का भी बड़ा महत्व है तो चलिए आपको बताते हैं कि श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आप कैसे नटखट कान्हा को प्रसन्न कर सकते हैं।



12 दिनों चक चलता है उत्सव
गौरतलब है कि, श्री कृष्ण जन्मोत्सव का उत्सव पूरे 12 दिनों चक चलता है। भक्त छठी, बरही जैसी रस्में भी मनाते हैं। लेकिन आमतौर पर लोग जन्माष्टमी के दिन ही पूजापाठ करते हैं या फिर मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण के दर्शन कर जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं। जन्माष्टमी के मौके पर संपूर्ण विधि विधान से पूजा सिर्फ मंदिरों में ही की जाती है।



ऐसे करें पूजा
ऐसे लोग जो अपने धर में ही जन्माष्टमी के दिन भगवान का जन्म उत्सव मनाते हैं। वो सबसे पहले लड्डू गोपाल की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराकर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, केसर के घोल से स्नान कराएं। पंचामृत स्नान के बाद फिर गोपाल को शुद्ध जल से स्नान कराएं और सुंदर वस्त्र पहनाएं। मंदिर और उसके आसपास के स्थान को फूरों से सजाएं एवं सुदर रोशनी भी करें।



पूजा के बाद ग्रहण करें प्रसाद
रात्रि बारह बजे भोग लगाकर विधि विधान से कान्हा का पूजन करें और फिर श्री कृष्णजी की आरती करें। उसके बाद प्रसाद ग्रहण करें। व्रती दूसरे दिन नवमी में व्रत का पारणा करें। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शास्त्रों में इसके व्रत को 'व्रतराज' कहा जाता है। मान्यता है कि इस एक दिन व्रत रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है। माना तो ये भी जाता है कि अगर भक्त पालने में नटखट गोपाल को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जन्माष्टमी के दिन पूजा करने से यश, कीर्ति, पराक्रम, ऐश्वर्य, सौभाग्य, वैभव, संतान प्राप्ति, धन, आयु तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।



व्रत के लाभ
चलिए अब आपको बताते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से किस तरह के लाभ प्राप्त हो सकते हैं। माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से जीवन में सफलता मिलती है और कर्म क्षेत्र में निरंतर उन्नति की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान का ध्यान करने और व्रत रखने से परिवार में कलह और तनाव का नाश होता है तथा घर में शांति और प्रेम का वातावरण निर्मित होता है। धन, धान्य, संपदा, समृद्धि के लिए जन्माष्टमी के दिन व्रत रखना सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि अगर नि:संतान दंपत्ति इस दिन चांदी के कान्हा जी लाकर विधि विधान से पूजन करें तो उन्हें अवश्य ही संतान प्राप्ति का फल मिलता है।