नई दिल्ली, एबीपी गंगा। चंदन का सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं बल्कि धर्मिक महत्व भी है। चंदन को शीतल, शक्तिवर्धक, दंतक्षयनाशक और शरीर को शक्ति देने वाला माना गया है। संस्कृत साहित्य में चंदन का अनेक बार उल्लेख हुआ है। भगवान भोले नाथ को चंदन का लेप लगाया जाता है, क्योंकि चंदन में शीतलता होती है। चंदन के गुणों के बारे में आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने बताई हैं बेहद खास बातें।


चंदन


-चंदन सबसे कीमती वनस्पति है। इसका धार्मिक और आर्थिक महत्व है। यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है। चंदन दो प्रकार के होते हैं - सफेद और लाल


-वृक्ष की आयुवृद्धि के साथ ही साथ उसके तनों और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश भी बढ़ने लगता है। इसकी पूर्ण परिपक्वता में 8 से लेकर 12वर्ष तक का समय लगता है।


-चंदन लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, तथा साजसज्जा के सामान बनाने में और अन्य उत्पादनों का जैसे - अगरबत्ती, हवन सामग्री, तथा सुगंधित इत्र के निर्माण में होता है।


भगवान भोले नाथ को चंदन का लेप लगाया जाता है, क्योंकि चंदन में शीतलता होती है।


राहु शांति के उपाय -


-चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग' अर्थात चन्दन के पेड़ में शीतलता के कारण विषधारी सर्प लिपटे रहते हैं, लेकिन चंदन के वृक्ष पर सर्पों के विष का प्रभाव नहीं पड़ता है। यह चंदन की विशेषता है।


-राहु यदि कुण्डलि में निगेटिव फल दे रहा हो, तो चंदन का तेल व फेसपैक लगाना चाहिए। क्योंकि राहु सर्प का फन है, और केतु सर्प की पूंछ, जो की पूर्ण सर्प हो जाता है। चंदन का उत्पाद लगाने से उसकी विषाक्ता प्रभावहीन हो जाती है।


-यदि शत्रु अधिक परेशान कर रहें हो, और आस्तीन के सांप खासकर। तो कलाई की रक्षासूत्र में चंदन लगाना चाहिए।


-चंदन के लाभ


-चंदन का तिलक विवेक को बढ़ाने वाला होता है। क्रोध अधिक आने पर चंदन का तिलक लगाने से लाभ होता है।


-चंदन का तेल हाई ब्लड़ प्रेशर से निपटने और तनाव कम रहता है।


-जन्म कुंडली में अगर गुरु अशुभ फल दे रहा हो, या विवाह में देरी हो रही हो, तो रोज सुबह नहाने के पानी में थोड़ा सा चंदन पाउडर डालकर नहाना चाहिए। इससे गुरु के दोष भी दूर होते हैं, और विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं।


-श्रीकृष्ण को चंदन का तिलक लगाने से मनोकामना पूरी होती है।


-अगर पति-पत्नी में नहीं बनती तो पत्नी को स्वयं अपने हाथों से पति को चंदन का तिलक लगाना चाहिए। इससे दोनों के बीच प्रेम बढ़ता है।


-चंदन की माला गले में पहनने से भी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और गुरु के दोष कम होते हैं।


-रक्त चंदन से मंगलदेव की पूजा करने से धन-संपत्ति मिलती है और मंगल के दोष भी दूर होते हैं।


सूर्य के अर्घ्य में लाल पुष्प लाल एवं लाल चंदन मिला कर सूर्य को जल देने से उनकी नाराजगी दूर होती है।


-चंदन पाउडर को हवन सामग्री में मिला कर हवन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा का शमन हो जाता है।


-जिन बच्चे को बहुत जल्दी-जल्दी नजर लग जाती है। और खास कर किसी पार्टी आदि में बच्चे जाने के बाद बीमार हो जाते हैं, तो उन बच्चों को तैयार करने के बाद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। इससे नकारात्मक नजरों का प्रभाव नहीं होता है।


तिथि


संवत् – 2076


माह– आश्विन शुक्ल पक्ष


तिथि – दशमी तिथि दोपहर 02:50 तक उसके उपरान्त एकादशी


योग- धृति योग


चन्द्रमा - मकर राशि


नक्षत्र – श्रवण नक्षत्र


राहु काल- दोपहर 03:00 से सायं 04:30 तक


वार- मंगलवार


दिशा शूल- उत्तर दिशा (निकलने से पहले हलवा खा कर निकले )