इस कांड के बाद अलग हो गए थे बबलू श्रीवास्तव और दाऊद इब्राहिम के रास्ते, दुश्मनी में बदल गई थी दोस्ती
ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू ने एक बार पेशी के दौरान खुद मीडिया के सामने खुलासा किया था कि वह अपने भाई की तरह सेना में अफसर बनना चाहता था या फिर उसे आईएएस अधिकारी बनने की ललक थी।
लखनऊ, एबीपी गंगा। जुर्म की दुनिया में कई ऐसे नाम हैं जो न चाहते हुए भी इस दलदल में फंस गए और फिर कभी बाहर नहीं निकल पाए। अपराध की दुनिया में ये इतना आगे बढ़ गए कि इनका नाम भारत की सरहदों के बाहर भी सुनाई दिया। अडंरवर्ल्ड में किडनैपिंग किंग के नाम से कुख्यात ऐसा ही एक नाम है बबलू श्रीवास्तव का, जो कॉलेज से निकलकर जुर्म की दुनिया में बाहुबली बनकर सामने आया।
कौन है बबलू श्रीवास्तव
बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है और वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का रहने वाला है। उनका घर आम घाट कॉलोनी में था और पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव जीटीआई में प्रिंसिपल थे। बबलू के बड़े भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी बड़े ओहदे पर हैं।
आम छात्र था बबलू
बबलू और अपराध, कहीं से कोई कनेक्शन नहीं नहीं। बबलू आम छात्र की तरह जीवन में पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहता था और इसके लिए उसने सही रास्ता भी चुना था। बबलू लखनऊ विश्वविद्यालय में लॉ का छात्र था और आम छात्रों की तरह वो भी पढ़ाई के साथ-साथ दोस्तों के साथ समय बिताता था।
चुनाव ने बदली राह
समय को कुछ और ही मंजूर था। 1982 में छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। बबलू का एक दोस्त चुनाव में महामंत्री पद का उम्मीदवार था। प्रचार जोरों पर था। छात्र नेता एक दूसरे को हराने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। इसी दौरान दो छात्र गुटों में चुनावी झगड़ा हुआ, जिसमें किसी ने एक छात्र को चाकू मार दिया।
बबलू को भिजवा दिया जेल
घायल छात्र का संबंध लखनऊ के माफिया अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना के साथ था। इस मामले में अन्ना ने बबलू श्रीवास्तव को आरोपी बनाकर जेल भिजवा दिया। यह बबलू के खिलाफ पहला मुकदमा था और यहीं से बबलू के मन में में नफरत की आग धधकने लगी थी।
अन्ना के विरोधी गैंग में एंट्री
बबलू श्रीवास्तव को जमानत मिल गई और वह बाहर आ गया। बबलू ने फिर से अपनी जिंदगी शुरू की लेकिन अन्ना गैंग की नजरें उसपर लगी हुईं थी। अखिरकार, पुलिस ने अन्ना के कहने पर बबलू को चोरी के झूठे आरोप में फिर जेल भिजवा दिया। इसका असर ये हुआ कि इस घटना से नाराज घरवालों ने बबलू की जमानत नहीं कराई और अब बबलू का जीवन बदलने वाला था।
आईएएस या सेना अधिकारी बनना चाहता था बबलू
यहां आपको बता दें कि बबलू ने एक बार पेशी के दौरान खुद इस बात का खुलासा किया था कि वह अपने भाई की तरह सेना में अफसर बनना चाहता था या फिर उसे आईएएस अधिकारी बनने की ललक थी। लेकिन उसकी जिंदगी को कॉलेज की एक छोटी सी घटना ने पूरी तरह बदल दिया और फिर वो उस राह पर चल पड़ा जहां से पीछे लौटना मुमकिन नहीं था।
बबलू ने छोड़ दिया घर
बबलू की किस्मत तय हो चुकी थी। वाहन चोरी की वारदातों में नाम आने के बाद बबलू ने घर छोड़ दिया, रहने के लिए उसने एक हॉस्टल में कमरा ले लिया। इसी दौरान वह अन्ना के विरोधी माफिया रामगोपाल मिश्र के सम्पर्क में आ गया और उसके लिए काम करने लगा। यही वो वक्त था जब बबलू ने अपराधी की दुनिया में कदम रख दिया था और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बहुत आगे बढ़ चुका था बबलू
बबलू श्रीवास्तव ने कॉलेज से लॉ की पढ़ाई तो पूरी की लेकिन इसी दौरान वह अपराध की दुनिया में भी बहुत आगे बढ़ चुका था। उसका आपराधिक ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा था। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अपहरण, फिरौती, अवैध वसूली और हत्या जैसे संगीन मामले दर्ज होते गए।
किडनैपिंग किंग बन गया था बबलू
लॉ की शिक्षा हासिल करने वाला बबलू उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र तक अपनी पकड़ बना चुका था। उसने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपहरण को तरजीह दी। इस धंधे में उसने कई लोगों को मात दे दी थी। उसके नाम पुलिस ने अपहरण के कई मामले दर्ज किए थे। उसने फिरौती के लिए कई लोगों का अपहरण किया, और फिरौती भी वसूली।
ऐसे हुई दाऊद इब्राहिम से मुलाकात
1989 में पुलिस से बचने के लिए बबलू चंद्रास्वामी से मिला लेकिन उसके साथ बबलू की ज्यादा नहीं बनी। बबूल वहां से नेपाल चला गया और कुछ साल वहां रहने के बाद वह 1992 में दुबई जा पहुंचा। जहां नेपाल के माफिया डॉन और राजनेता मिर्जा दिलशाद बेग ने उसकी मुलाकात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम से कराई।
फिर टूट गई दोस्ती
सिर पर दाऊद का हाथ आ जाने से बबलू श्रीवास्तव की ताकत बढ़ती जा रही थी, लेकिन 1993 में अचानक मुंबई एक साथ कई धमाकों से दहल गई। इन धमाकों के पीछे डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम आने लगा, इसी दौरान छोटा राजन और बबलू श्रीवास्तव समेत कई लोगों ने डी कंपनी को अलविदा कह दिया।
एडिशनल कमिश्नर की हत्या में उम्रकैद
यूं तो अपने आपराधिक जीवन में बबलू श्रीवास्तव ने कई ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया था जो किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं लगतीं लेकिन पुणे में एडिशनल पुलिस कमिश्नर एलडी अरोड़ा की हत्या के मामले में बबलू का नाम सुर्खियों में आ गया था। आरोप था कि बबलू और उसके साथी मंगे और सैनी ने सरेआम एडिशनल कमिश्नर अरोड़ा को गोलियों से भून दिया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए बबलू और उसके साथियों को अदालत ने दोषी माना और तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
बबलू का अधूरा ख्वाब
कई साल से जेल में बंद बबलू श्रीवास्तव ने ‘अधूरा ख्वाब’ नाम से एक किताब लिखी जिसमें उसने अपनी जिंदगी की कई घटनाओं का जिक्र किया है। किताब में वो वारदातें भी शामिल हैं जिनकी वजह से वह किडनैपिंग किंग कहलाने लगा था। उसने किताब में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से मुलाकात और उसके साथ काम करने का जिक्र भी किया है। साथ ही बबलू ने दाऊद से दुश्मनी और गैंगवार को भी किताब में जगह दी है।
कड़ी सुरक्षा के बीच बंद है बबलू
1995 में माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव मॉरिशस में पकड़ा गया था उसके बाद उसे भारत लाया गया। यहां उसके खिलाफ करीब 60 मामले चल रहे थे जिसमें से अब केवल चार लंबित हैं। कई मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। इस दौरान कई बार ऐसे मामलों का खुलासा हुआ जिनमें बबलू की जान लेने की साजिश रची गई थी। इन सभी मामलों के पीछे अक्सर डी कंपनी का नाम आया। एक बार पुलिस ने खुलासा किया था कि बबलू की हत्या के लिए बड़ी सुपारी दी गई थी, लेकिन वह बच गया। फिलहाल, वह बरेली की सेंट्रल जेल में बंद है और उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है।