हमीरपुर, विकास पुरवार: चिड़ियाघर की याद आते ही वहां रहने वाले जानवरों की तस्वीर जेहन में उतर आती है. पर शायद आप ने ये नहीं सुना होगा कि एक चिड़ियाघर ऐसा भी है जहां पत्थरों के जानवर रहते हैं. इस खास चिड़ियाघर में जिंदा नहीं बल्कि सिर्फ पत्थर के जानवर ही नजर आते हैं. ये चिड़ियाघर पूरे देश में सबसे अनोखा है. जहां जानवर तो हैं पर वो बोलते नहीं, चलते नहीं, फिरते नहीं न ही किसी को डराते हैं. और तो और कुछ खाते भी नहीं हैं.


हमीरपुर जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस चिड़ियाघर का 1993 में तत्कालीन राज्यपाल मोती लाल वोरा ने उद्घाटन किया था. उस समय इसमें कई जंगली जानवरों को रखा गया था पर आज सारे जानवर गायब हैं और उनकी जगह ले ली है पत्थर के जानवरों ने. इस चिड़ियाघर को करोड़ों रुपये कि लागत से विलुप्त हो रहे जीवों को संरक्षित रखने के लिए बनाया गया था. जानवरों को देखने के लिए कभी इस चिड़ियाघर में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते थे, पर आज यहां पसरा सन्नाटा इसका हाल बयां करने के लिए काफी है. आज कोई भी इस चिड़ियाघर में आने को तैयार नहीं है, वजह साफ है कि वन विभाग कि उदासीनता के चलते यहां रखे गए जानवर या तो मर गए या वन्य जीव चोरों ने चोरी कर लिए हैं. लोगो के मनोरंजन के लिए यहां अब पत्थरों के जानवरों को बनवा दिया गया है.


यहां कभी जानवरों को रखा गया था अब तो ये बात भी वन विभाग के आला अधिकारी शायद भूल चुके है. उन्हें तो केवल इतना मालूम है कि ये चिड़ियाघर आम लोगों को वन्य जीवन से जोड़ने के लिए बनाया गया था. लेकिन, समय के साथ सब कुछ खत्म हो गया है. यहां जिन्दा जानवरों की जगह पत्थर के जानवर क्यों रखे गए ये बात न तो कभी शासन ने जानने कि कोशिश कि और न ही वन्य जीवों की रक्षा के लिए हुंकार भरने वाली किसी संस्था ने. फिलहाल इस चिड़ियाघर में बने पत्थर के जानवरों ने इसे पूरे देश में मशहूर जरूर कर दिया है.

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