भारत में स्थित है ये अनोखा मंदिर, यहां सिर्फ महिला पुजारी ही कराती हैं पूजा
बिहार के दरभंगा जिले के कमतौल में स्थित है देवी अहिल्या का मंदिर। इस मंदिर की खास बात ये हैं कि यहां महिला पुजारी ही पूजा करती हैं।
आस्था, विश्वास और भक्ति- कुछ ऐसा ही नजर आता है इस बेहद खास मंदिर में जहां पुजारी की भूमिका सिर्फ महिलाएं ही निभाती हैं। भारत आस्था का देश है यहां के मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। अक्सर आपने मंदिरों में पुरुष पुजारी ही देखें होंगे लेकिन हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सिर्फ महिलाएं ही पुजारी के रूप में नजर आती हैं। इस मंदिर को श्राप मुक्ति स्थल कहा जाता है। यह मंदिर बिहार के दरभंगा जिले के कमतौल में स्थित है। इस मंदिर में देवी अहिल्या विराजित हैं।
मान्यता है कि गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार त्रेतायुग में भगवान राम ने किया था, उसी तरह जो लोग रामनवमी के दिन गौतम और अहिल्या स्थान कुंड में स्नान कर अपने कंधे पर बैंगन का भार लेकर मंदिर आते हैं और बैंगन का भार चढ़ाते हैं तो उन्हें रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
देवी अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार स्वर्गलोक के राजा देवी अहिल्या पर मोहित हो गए। इंद्र जानते थे कि देवी अहिल्या पतिव्रता स्त्री हैं। इसलिए जब गौतम ऋषि अपने आश्रम में नहीं थे, तब इंद्र गौतम ऋषि का वेश धारण करके आश्रम में पहुंच गए। इंद्र जब ऋषि की कुटिया से निकल रहे थे, उसी वक्त गौतम ऋषि आ गए और अपनी कुटिया से इंद्र को उनके वेष में निकलते देख पहचान लिया।
गौतम ऋषि ने क्रोध में अपनी पत्नी को पत्थर की शिला बनने का श्राप दे दिया। ऋषि ने इंद्र को भी श्राप दिया कि उनका वैभव नष्ट हो जाएगा। गौतम ऋषि के श्राप के कारण ही इंद्रलोक पर असुरों का अधिकार हो गया था। त्रेता युग में भगवान राम के चरणों के प्रताप से देवी अहिल्या श्राप मुक्त हुईं थीं।
जहां भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था वहां आज भी उनकी पीढ़ी मौजूद है और उस जगह पर पुरूष पंडित की जगह महिला पुजारी ही पूजा कराती हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस स्थान पर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।