बावनखेड़ी हत्याकांड: सलीम के इश्क में शबनम ने पूरे परिवार को किया था खत्म, फांसी के फंदे तक पहुंची खूनी दास्तां
मास्टर शौकत सैफी के घर में शबनम इकलौती बेटी थी। घटना के बाद गांव के लोगों को शबनम से इतनी नफरत हो गई कि अब इस गांव में कोई अपनी बेटी का नाम शबनम रखना नहीं चाहता है। ग्रामीणों का कहना है कि शबनम की फांसी में अब देरी नहीं होनी चाहिए।
अमरोहा, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले का नाम एक काले अध्याय से जुड़ा है। इस जिले का नाम लेते ही शबनम की याद आती है। लोग तो यहां तक कहते हैं कि यही वो जिला है जहां बावनखेड़ी हत्याकांड हुआ था। भले ही बावन खेड़ी हत्याकांड को 12 वर्ष बीत गए हों लेकिन आज भी लोग जब इसे याद करते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आलम ये है कि यहां के लोग शबनम के नाम से भी डरते हैं। गांव वाले ही नहीं आसपास के गांवों के लोग भी अपनी बेटियों का नाम शबनम नहीं रखते हैं।
दरअसल, शबनम और सलीम के इश्क की खूनी दास्तां फांसी के फंदे के बेहद नजदीक पहुंच चुकी है। 14 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर माता-पिता और मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुलाने वाली शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने बरकरार रखा है। शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया गया है। ऐसे में अब उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है।
शबनम और सलीम को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से फांसी की सजा सुनवाई जा चुकी है। दोनों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी माफ करने की गुहार लगाई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ने दोनों दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
वहीं, बावनखेड़ी के ग्राम प्रधान मोहम्मद नबी का कहना है कि वर्ष 2008 में बावनखेड़ी कांड के समय गांव में कई बेटियों का नाम शबनम था। अधिकांश बेटियों की शादी हो चुकी है। हत्याकांड की इस घटना के बाद गांव में किसी बच्ची का नाम शबनम नहीं रखा गया है। शबनम नाम जुबां पर आते ही खौफनाक रात की वारदात ताजा हो जाती है।
शबनम का नाम लेते ही गांव वालों को खौफनाक रात की याद आ जाती है, जिसमें गांव के मास्टर शौकत के हंसते खेलते परिवार को मौत की नींद सुला दिया गया। एक के बाद एक परिवार के सात सदस्यों को कुल्हाड़ी से वार कर मौत के घाट उतार दिया गया। इस घटना को अंजाम किसी और नहीं बल्कि मास्टर शौकत की शिक्षामित्र बेटी शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर दिया था।
हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी की शिक्षामित्र शबनम ने 14/15 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम, भतीजे अर्श और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर कत्ल कर दिया था। गांव के लोग कहते हैं कि ये दिल दहलाने वाली घटना 12 साल पहले हुई थी लेकिन आज भी लोग इस घटना को नहीं भूल पाए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि शबनम की फांसी में अब देरी नहीं होनी चाहिए। यदि फांसी से भी बड़ी कोई सजा हो तो वह शबनम को मिलनी चाहिए। गांव के लोग तो यहां तक कहते हैं कि हत्याकांड के बाद बावनखेड़ी के किसी भी घर में बेटी का नाम शबनम नहीं रखा गया है। सात लोगों की कब्र आज भी उस खौफनाक घटना की गवाही देती है।