गोरखपुर: वनटांगिया गांव में सीएम योगी आदित्यनाथ मनाते हैं दिवाली, हकीकत जानकर हैरान रह जाएंगे आप
वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा की तरह इस बार भी वनटांगियां समुदाय के लोगों के साथ दिवाली मनाएंगे. लोगों का कहना है कि सीएम नहीं आएंगे तो लोग दिवाली नहीं मनाएंगे.
गोरखपुर: आजादी के 70 साल बाद वनटांगिया गांव के लोगों के जीवन में उम्मीद और खुशियों की किरण आ सकी है. क्योंकि, देश का नागरिक होने के बाद भी न तो उन्हें मतदान का अधिकार मिला था और न ही राजस्व गांव का दर्जा ही मिल पाया था. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वनटांगिया समुदाय के लोगों के लिए खुशियां लेकर आए. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही वनटांगिया गांव को राजस्व गांव का दर्जा दिलाया तो वहीं मतदान का अधिकार भी. आजादी के 70 साल बाद जब गांव में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान के साथ बिजली पहुंची तो शिक्षा की अलख भी जग गई. सरकारी और मूलभूत सुविधाओं ने गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी.
वनटांगियां समुदाय के लोगों के साथ मनाएंगे दिवाली वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा की तरह इस बार भी वनटांगियां समुदाय के लोगों के साथ दिवाली मनाएंगे. वनटांगियां गांव तिनकोनिया नंबर-3 में इसे लेकर दिवाली के दिन होने वाले आयोजन की तैयारी शुरू हो गई है. पूरा आयोजन कोविड प्रोटोकाल के तहत सम्पन्न होगा. आयोजन में फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ लोगों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाएगी. मुख्यमंत्री वनटांगियों के साथ दिवाली मनाने के लिए अयोध्या से सीधे आयोजन स्थल पहुंचेंगे. हालांकि, इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं आया है. लेकिन जिला प्रशासन आयोजन की रूपरेखा तैयार करने में जुट गया है.
...तो नहीं मनाएंगे दिवाली इस आयोजन में वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नंबर-3, रजही कैंप, रामगढ़ खाले, आमबाग और चिलबिलिया के वनटांगियों की मौजूदगी रहेगी. कोविड को देखते हुए किस गांव का प्रतिनिधित्व कितने लोग करेंगे, ये भी तय किया जाएगा. गांव की लक्ष्मीना बताती हैं कि उनके पास कुछ नहीं था. मुख्यमंत्री ने उनके मकान का उद्घाटन पिछले साल दिवाली पर दीप जलाकर पूजा-पाठ करके किया. गांव के लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं. लक्ष्मीना कहती हैं कि जैसे भगवान श्रीराम का अयोध्या में इंतजार होता रहा है. उसी तरह वे लोग हर साल दिवाली के दिन सीएम योगी का इंतजार करते हैं. वे कहती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब योगी और सांसद रहे हैं, तभी से उनके गांव आ रहे हैं. वे मिठाई, कॉपी-किताब, कपड़े, स्कूल बैग और गांव वालों को उपहार देकर जाते हैं. लक्ष्मीना ने बताया कि उनके गांव के लोगों को सीएम योगी आदित्यनाथ का बेसब्री से इंतजार है. वे नहीं आएंगे तो वे लोग दिवाली नहीं मनाएंगे.
लोगों को मिल रही है सुविधा गांव के रामहित बताते हैं कि वनटांगियों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रिश्ते का इतिहास डेढ़ दशक से भी अधिक पुराना है. मुख्यमंत्री अनवरत उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं. हर वनटांगिए के घर दिवाली का दीप जले, इसके लिए वो 2007 से लगातार उनके साथ दिवाली मना रहे हैं. ये सिलसिला उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी रखा है. मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्होंने 2017 में वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया. इसका नतीजा है कि गांव में बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसने वाले वनटांगिया समुदाय के लोग आज केंद्र और प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के हकदार बन गांव और अपने समुदाय को आगे बढ़ा रहे हैं. जहां गांव में पक्के मकान, बिजली, शुद्ध पेयजल की सुविधा मिली है. तो वहीं वृद्धा और विधवा पेंशन के साथ राशन कार्ड पर अन्न भी मिल रहा है.
जंगल में बसाया गया रामहित बताते हैं कि अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए बर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर ये कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए. कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं थीं.
जीवनयापन का साधन भी नहीं था रामहित बताते हैं कि 1947 में देश भले आजाद हुआ, लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा. जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही झोपड़ी के अलावा कोई निर्माण करने की इजाजत. पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं था. ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं था जिसके आधार पर वो सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने नागरिक होने का दावा कर पाते. समय-समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय बना रहा है.
सीएम योगी को झेलना पड़ा मुकदमा वन्यग्रामों के लोगों को जीवन की मुख्यधारा में जोड़ने के दौरान 2009 में योगी को मुकदमा तक झेलना पड़ा. वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण योगी के निर्देश पर उनके कार्यकर्ता कर रहे थे, इस पर वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी. योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका. वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दिवाली मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ. फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं.
सीएम आएंगे तो दिवाली मनाएंगे सुभावती का चार बेटों और एक बेटी का भरापूरा परिवार है. वे कहती हैं कि योगी आदित्यनाथ जब दिवाली के दिन दीया जलाते हैं, तभी उन लोगों की दिवाली मनती है. उन्होंने बताया कि वे नहीं आएंगे, तो गांव में दिवाली नहीं मनेगी. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज तीन दिवाली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है. लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया.
सामान्य नागरिकों की तरह मिल रही है सुविधा सुभावती कहती हैं कि राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है. तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है. वनटांगिया गांवों में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस है. बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
उपहार देते हैं सीएम योगी कक्षा 10वीं में पढने वाली ममता गौड़ और पूजा निषाद ने पिछले साल सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ सेल्फी ली थी. वे कहती हैं कि उनका बेसब्री से इंतजार रहता है. वे नहीं आएंगे, तो गांव में दिवाली नहीं मनेगी. वे आते हैं तो उपहार और मिठाइयों के साथ कापी-किताब और स्कूल बैग भी देते हैं. पिछले साल सीएम योगी ने जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में कई घरों में गृह प्रवेश कराया. उनके घर दिया जलाया, खीर, हलवा खाया तो वनवासियों के चेहरों पर खुशी दौड़ गई. बच्चे अपने सिर पर अपने महराज जी का प्यार दुलार भरा स्पर्श पाकर आह्लादित रहे.
गांव की तस्वीर बदल गई गांव के रहने वाले पेशे से किसान राम मिलन बताते हैं कि पिछले साल दिवाली तक इस वनटांगिया गांव में 85.876 हेक्टेयर खेती की जमीन, 9.654 हेक्टेयर आवासीय जमीन, 788 मुख्यमंत्री योजना के आवास, 895 शौचालय, 49 को निराश्रित पेंशन, 38 को दिव्यांग पेंशन, 125 को वृद्धा पेंशन, 647 को सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन, 895 को अंत्योदय राशनकार्ड और 600 को उज्ज्वला योजना का रसोई गैस कनेक्शन मिल चुका था. 80 प्रतिशत लोगों का रहन-सहन और जीवन स्तर बदल गया है. बच्चे स्कूल में पढ़ने लगे. शिक्षक संजय कुमार गुप्ता बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गांव की तस्वीर बदल दी. जहां विद्यालय उनके प्रयास से चलने लगा. तो वहीं बच्चे साक्षर होकर गांव का नाम रोशन करने की कोशिश कर रहे हैं. गांव वालों को मूलभूत सुविधाएं भी मिलनी शुरू हो गईं.
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