डकैत: कांटों से भरी थी फूलन देवी की जिंदगी, इस कांड के बाद बीहड़ का किया था रुख
फूलन देवी 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों की सबसे खतरनाक डाकू मानी जाती थीं। फूलन के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था जिसके बाद वो महज 16 साल की उम्र में डाकू बन गईं थीं।
स्पेशल डेस्क, एबीपी गंगा। चंबल का सुनते ही मन डाकूओं के खौफ से भर जाता है। ये वो बीहड़ है जहां कई ऐसे डाकू हुए जिनके नाम से पुलिस भी कांपती थी। इस बीहड़ ने कई कई ऐसी महिला डाकुओं को भी पनाह दी जो हत्या, लूट, डकैती और अपहरण के मामलों में सबसे आगे रहीं। फूलन देवी एक ऐसा ही नाम है। भले ही नाम में फूलन के नाम में 'फूल' है लेकिन यकीन मनिए इनकी जिंदगी कांटों भरी थी।
कौन है फूलन देवी
दरअसल, फूलन के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था जिसके बाद वो महज 16 साल की उम्र में डाकू बन गईं थीं। बलात्कार का बदला लेने के लिए फूलन ने राजपूत समाज के 22 लोगों का सरेआम कत्ल कर दिया था, जो बेहमई हत्याकांड के नाम से मशहूर है। वर्ष 1983 में फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया था। जेल से छूटने के बाद फूलन ने राजनीति में एंट्री ले ली।
बेहमई हत्याकांड
फूलन देवी 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों की सबसे खतरनाक डाकू मानी जाती थीं। हालात ने बचपन से ही फूलन को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बेहमई हत्याकांड को अंजाम दिया तो उन्हें इसको लेकर पछतावा कभी नहीं हुआ। 1963 फूलन का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद के एक छोटे से गांव गोरहा में हुआ था। इसी गांव से उनकी कहानी भी शुरू होती है।
छोटी उम्र में ही हो गई बूढ़े शख्स से शादी
फूलन अंदर से बदले की आग से जलने लगीं। जब फूलन 11 साल की हुई तो उसके चचेरे भाई मायादिन ने गांव से बाहर निकालने के लिए उनकी उसकी शादी पुट्टी लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी गई। फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप किया और उसे प्रताड़ित करने लगा। परेशान होकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास आकर रहने लगी। यहां फूलन ने मजदूरी करना शुरू कर दिया।
15 साल की उम्र में गैंगरेप
फूलन 15 साल की थी जब कुछ दबंगों ने घर में ही उसके मां-बाप के सामने उसके साथ गैंगरेप किया। बावजूद फूलन के तेवर कमजोर नहीं पड़े। उसके बाद गांव के दबंगों ने एक दस्यु गैंग को कहकर फूलन का अपहरण करवा दिया। बस यहीं से शुरू हुई फूलन के डकैत बनने की कहानी।
22 लोगों को मारी गोली
14 फरवरी 1981 को बेहमई में 22 लोगों को लाइन में खड़ा करके फूलन ने गोलियों से भन दिया। इस घटना के बाद फूलन देवी का नाम सभी की जुबान पर चढ़ गया। फूलन देवी का कहना था उन्होंने ये हत्याकांड बदला लेने के लिए किया था। कहा तो ये भी जाता है कि जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था।
जब फूलन देवी ने किया आत्मसमर्पण
फूलन ने बदला तो ले लिया लेकिन उनकी जान को खतरा हमेशा बना रहता था। शायद यही कारण था कि उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया। लेकिन, आत्मसमर्पण का रास्ता इतना आसान नहीं था। फूलन देवी को शक था कि यूपी पुलिस समर्पण के बाद उन्हें मार देगी इसलिए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के सामने हथियार डालने के लिए सौदेबाजी की। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले और उस समय उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा थी।
सांसद बनीं फूलन, की गई हत्या
वक्त बीता और 1994 में जेल से रिहा होने के बाद फूलन 1996 में सांसद चुनी गईं। समाजवादी पार्टी ने जब उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़वाया तो बखेड़ा भी खूब हुआ। फूलन को लोगों का प्यार मिला और दो बार वो लोकसभा के लिए चुनी गईं। लेकिन साल 2001 में केवल 38 साल की उम्र में दिल्ली में फूलन देवी की हत्या कर दी गई।
फूलन पर बनी फिल्म
1994 में फूलन के जीवन पर शेखर कपूर ने 'बैंडिट क्वीन' नाम से फिल्म भी बनाई जिसे खूब लोकप्रियता मिली। फिल्म अपने कुछ दृश्यों और फूलन देवी की भाषा को लेकर काफी विवादों में भी रही। 2011 में प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रकाशित अपने अंक में फूलन देवी को इतिहास की 16 सबसे विद्रोही महिलाओं की सूची में चौथे नंबर पर रखा था।