जालौन, मयंक गुप्ता: एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोनो जैसी महामारी से जूझ रहा है वहीं जालौन का जिला अस्पताल उरई खुद बीमार नजर आ रहा है. जब अस्पताल ही बीमार है तो लोगों का इलाज कैसे होगा ये चिंता का विषय है. बदलते मौसम में बढ़ती सीजनल बीमारियों के चलते गरीब और मध्यम वर्ग के लोग भरोसे और उम्मीदों से धरती के भगवान के पास जिला अस्पताल पहुचता है.


उच्चाधिकारियों को परवाह नहीं
प्राइवेट चिकित्सकों को भारी फीस नहीं देनी पड़गी और एक रुपये का पर्चा बनवाकर इलाज हो जाएगा. लेकिन इंसान की बुनियादी जरूरतों में शामिल में स्वास्थ्य सेवा लचर और विकलांग हो चुकी है. करोड़ों के बजट आवंटन के साथ खूबसूरत अस्पताल की बिल्डिंग, वातानुकूलित कमरों में आंख बंद किए बैठे उच्चाधिकारियों को कुछ नहीं दिख रहा है.


वेंटिलेटर पर अस्पताल
जालौन का जिला अस्पताल खुद बीमारी में वेंटिलेटर पर सिसकियां भर रहा है. जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी सालों से चली आ रही. डॉक्टरों की कमी के चलते इलाज के अभाव में गरीब तबका दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. जिला अस्पताल में बन्द पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन भी अपनी बदहाल दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. कोरोना काल में बेरोजगार हो चुके गरीब तबके के पास प्राइवेट इलाज के लिए पैसे नहीं हैं और वो बिना इलाज के ही घर लौटने को मजबूर हैं.



नहीं मिल रहा बुनयादी इलाज
बीमार जिला अस्पताल में मीडिया ने जब मरीजों और तीमारदारों से बात की तो पता चला कि उन्हें बुनयादी इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. एक पिता ने बताया कि उनके बेटे का अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया, अब वो घर लौट जाएंगे. शायद पैसे के अभाव की बात पिता अपने पुत्र के सामने नहीं कह सके.


डॉक्टरों की कमी है
जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि तीन साल से फिजिशियन नही हैं. सर्जन एक साल पहले कानपुर स्थानांतरित हो चुके हैं. शासन को कई बार अवगत कराया गया लेकिन किसी की पोस्टिंग यहां हुई ही नहीं. कुछ दिन पहले शासन के निर्देश पर दौरे में कमिश्नर साहब को अवगत कराया था, लेकिन पूरे प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है.



कहां जाएं मरीज
एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड न हो पाने के सवाल पर पता चला कि रेडियोलॉजिस्ट भी कार्य मुक्त हो चुके हैं तो एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड भी नहीं हो पा रहा है. जिले के मेडिकल कॉलेज में सिर्फ कोरोना के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. राजकीय मेडिकल कॉलेज को पूरी तरह से कोविड अस्पताल में कन्वर्ट कर दिया गया है. अब जनरल इलाज के लिए सिर्फ और सिर्फ जिला अस्पताल बचता है जो अपनी बदहाली और बीमारी में खुद सिसकियां भरता नजर आ रहा है.


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