Independence Day 2021: स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाने की बात हो तो ऐसे में देश के प्रथम शहीद और 1857 की गदर के नायक मंगल पांडे को पूरा देश याद किए बिना नहीं रह सकता. यूपी के बलिया के नगवां गांव में जन्मे शहीद मंगल पांडे की स्मृतियों को संजोए रखने के लिए उनके गांव नगवां में एक स्मारक बनाया गया है. यहां मंगल पांडे की विशाल मूर्ति लगाई गई है. जिसकी देखभाल शहीद मंगल पांडे स्मारक सोसायटी के जिम्मे है, जो इस वक्त उपेक्षा का शिकार है. 


वर्षों से बंद है पुस्तकालय
स्मारक यही सोचकर बनाया गया था कि आने वाली पीढ़ियां स्मारक को देखेंगी तो देश के लिए सबसे पहले कुर्बानी देने वाले अपने वीर जवान को याद कर उनके बारे में जान सकेंगी. लेकिन, अब ये स्मारक उपेक्षाओं का शिकार हो गया है और मंगल पांडे का जन्म दिवस और शहादत दिवस मनाने तक ही सीमित है. शहीद मंगल पांडे स्मारक एक पुस्तकालय भी है जो वर्षों से बंद है.


किसी सरकार ने नहीं ली सुध 
शहीद मंगल पांडे स्मारक सोसायटी के मंत्री की मानें तो 1857 की क्रांति का पहला बिगुल मंगल पांडे ने फूंका था जिसके परिणाम स्वरूप उनको 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई थी. देश के प्रथम शहीद मंगल पांडे का आज भी पुरानी अवस्था में एक मकान है जिसमें उनके परिवार की पांचवी पीढ़ी के लोग रहते हैं. जिनको आज भी मलाल इस बात का है की कोई भी सरकार आज तक मंगल पांडे के गांव की सुध तक लेने नहीं आई है. 


गांव में स्वास्थ्य केंद्र खोल दिया जाए
मंगल पांडे की पांचवी पीढ़ी के प्रपौत्र की मानें तो 1857 की क्रांति की जो चिंगारी थी वो उन्हीं की देन थी. जिसके बाद 1942 से शुरू होकर के 1947 में पूर्ण आजादी का श्रेय मिला. लेकिन, इसके बाद की जो भी सरकारें बनी हमारे परिवार के लिए तो छोड़ दीजिए ना हमारे क्षेत्र के लिए, ना हमारे जिले के लिए, ना हमारे प्रदेश और ना हमारे देश के लिए कुछ किया. हम हमेशा मांग करते रहे कि उनके नाम से गांव में स्वास्थ्य केंद्र खोल दिया जाए या गांव को जोड़ने वाली सड़क पर उनका स्टैच्यू लगा दिया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को ये ना पूछना पड़े कि मंगल पांडे कौन थे. लेकिन, आज तक सरकार ने कोई सुध नहीं ली है.



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