गोरखपुर, एबीपी गंगा। मुख्‍यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्‍ट पर पानी फिर जाए, तो इसे लापरवाही तो कतई नहीं कहा जा सकता है। यही वजह है कि हम इसे लापरवाही नहीं कह रहे हैं। जी हां, हम यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के गोरखपुर में तैयार हुए ड्रीम प्रोजेक्‍ट कान्‍हा उपवन गोशाला की बात कर रहे हैं। इसका सीएम योगी ने दस दिन पहले ही लोकार्पण किया है। लेकिन, ऐसा लगता है कि इस गोशाला में पशु नदारद और घोटाला ज्‍यादा दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि 8.5 करोड़ रुपए की लागत से नौ एकड़ में बना ये उपवन पानी-पानी हो गया है।


यूपी के मुख्‍यमंत्री ने शनिवार यानी छह जुलाई को महेवा मंडी ट्रांसपोर्ट नगर के पास 8.5 करोड़ रुपए की लागत से नौ एकड़ में बने कान्‍हा उपवन और गोशाला का लोकार्पण किया था। इस दौरान उन्‍होंने बताया था प्रदेश के 70 जनपदों में गोशाला की व्‍यवस्‍था हो चुकी है। अब तक 4.5 लाख गोवंश को रखने की व्‍यवस्‍था की गई है। इसके पहले कान्‍हा उपवन और गोशाला के लोकार्पण के दौरान उन्‍होंने कहा कि कान्‍हा उपवन और गोशाला में 1200 से 1500 गोवंश रखने की व्‍यवस्‍था होगी। उन्‍होंने गोपालकों को सख्‍त निर्देश देते हुए कहा कि गोवंश हमारी आस्‍था के प्रतीक हैं। हमें इनकी सेवा करनी चाहिए। गोपालक दूध निकालने के बाद गाय को सड़क और खेत में नहीं छोड़ें, नहीं तो उन्‍हें जुर्माना देना होगा।



अब बात कर लेते हैं इस ड्रीम प्रोजेक्‍ट पर हर आवारा पशुओं पर खर्च होने वाले रुपए की। सीएम योगी ने खुद बताया है कि एक गोवंश पर प्रतिदिन 30 रुपए खर्च किए जाएंगे। सभी आश्रय स्‍थलों में रहने वाले गोवंश के गोबर से खाद तैयार कर उसे बिक्री के लिए बाजार दिया जाएगा। उन्‍होंने बताया कि गोरखपुर के महेवा मंडी के पास बने इस गौशाला में एक साथ 570 पशु अपना भोजन और चारा खा सकते हैं। इसके अलावा 430 पशु आराम कर सकते हैं।


अब जान लेते हैं कि इस कान्‍हा उपवन में क्‍या-क्‍या सुविधाएं हैं। 8.5 करोड़ की लागत से बने इस गोशाला में दो कैटल शेड, एक भूसा गोदाम, दो आहार भंडार, एक पशु चिकित्सालय और एक कार्यालय भवन का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही यहां पर रहने वाले जानवरों को हर वो सुविधा देने की कोशिश की गई है, जो योगी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था। सीएम योगी ने इस कान्हा उपवन और गोशाला का लोकार्पण करने के बाद यहां बने हुए सभी शेड का निरीक्षण किया था और नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिया था कि अब से कोई भी निराश्रित जानवर  अब शहर में सड़कों और खेतों में भटकता नहीं पाया जाना चाहिए। नगर के साथ आसपास के ग्रामीण इलाकों के गोवंश को यहां पर रखा जाएगा, इससे किसानों की फसलों का नुकसान नहीं होगा और पूरा महानगर निराश्रित गोवंश से मुक्त होगा।



सीएम योगी आदित्‍यनाथ के आदेश और निर्देश का कितनी सख्‍ती से पालन हुआ अब ये भी जान लीजिए। दस दिन गुजरने के बाद भी इस कान्‍हा उपवन और गोशाला में एक भी गोवंश नहीं है। यहां गोवंश रहेंगे भी कैसे, जब इसमें पूरा पानी भरा हुआ है। अब हम इसे लापरवाही कहें या घोटाला ये तो खुद ही समझ लीजिए। चारों ओर से बाउंड्री करके कान्‍हा उपवन को तैयार कर दिया गया। नौ एकड़ के उपवन को तैयार करने में 8.5 करोड़ रुपए भी खर्च कर दिए गए. लेकिन, बारिश के मौसम में पानी के निकासी की कोई व्‍यवस्‍था नहीं की गई। ठेकेदार गुड्डू मिश्रा खुद मानते हैं कि इसमें गोवंश नहीं रखे जा सकते हैं और जल निकासी की व्‍यवस्‍था नहीं की गई है। अभी मिट्टी डालने में कई लाख या करोड़ खर्च हो सकते हैं।



नगर निगम के मेयर सीता राम जायसवाल भी इस बात को स्‍वीकार करते हैं कि प्रोजेक्‍ट अभी अधूरा है। इसे पूरा करने में दो से तीन माह का समय लगेगा। तो फिर सवाल ये है कि अधूरे प्रोजेक्‍ट का सीएम से हड़बड़ी में लोकार्पण क्‍यों करा दिया गया। क्‍या काम पूरा ही नहीं हुआ था। पूरा काम नहीं हुआ था, तो सीएम योगी को क्‍या झूठ का आईना दिखा दिया गया। जब मेयर सीता राम जायसवाल ये खुद मान रहे हैं कि ये सीएम का ड्रीम प्रोजेक्‍ट है, तो फिर इसे समय रहते प्‍लानिंग के साथ पूरा क्‍यों नहीं किया गया। ये लापरवाही है या घोटाला ये तो जांच का विषय है लेकिन सीएम योगी की सख्‍ती के बावजूद सीएम सिटी के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। सड़कें खस्‍ताहाल हो गई हैं। कान्‍हा उपवन के उद्घाटन के दस दिन गुजरने के बाद भी आसपास की सड़कों पर तो गोवंश घूम रहे हैं। लेकिन, कान्‍हा उपवन पानी-पानी है।