सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में बने मुक्तिधामों की हालात बेहतर नहीं है. यूं तो मुक्तिधामों का निर्माण श्मशान घाटों पर अंत्येष्ठि के समय आने वाले लोगों को बैठने के लिए कराया जाता है लेकिन ये इन मुक्तिधामों से कहीं न कहीं घोटालों की बड़ी फेहरिस्त भी लिखी जाती है. तो चलिए आपको बताते हैं जिले के बांसी नगरपालिका की तरफ से राप्ती नदी के तट पर बनाए जा रहे ऐसे ही एक मुक्तिधाम की हकीकत.


पूरा नहीं हुआ मुक्तिधाम का निर्माण कार्य
बांसी नगरपालिका की तरफ से पालिका क्षेत्र में पड़ने वाली राप्ती नदी के तट पर श्मशान घाट पर एक मुक्तिधाम का शिलान्यास 2007 हुआ था. उसके बाद 2016 से ही ये मुक्तिधाम बन रहा है. इसके निर्माण में अब तक लाखों रुपए भी खर्च हो चुके हैं लेकिन अब तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. मुक्ति धाम में लगे शेड से कई सीमेंट के स्लैब के गायब हैं तो कई टूट गए हैं. गेट अधूरा पड़ा है, सिर्फ सरिए का ढांचा ही गेट के नाम पर दिख रहा है.


डरने लगे हैं लोग
मुक्तिधाम में दो कमरों का भी निर्माण किया गया है जो अधूरा है. एक कमरे को देखकर तो ऐसा लगता है जैसे इसका निर्माण शराब अड्डे के लिए हो रहा है. इस कमरे में बीयर, अंग्रेजी शराब की बोतलों के साथ देशी शराब की बोतलें पड़ी मिलीं. अंतेष्टि के समय यहां आने वाले लोग इसके नीचे खड़े होने से कतराते हैं, इसका मुख्य कारण ये है कि कहीं कोई घटना गाजियाबाद की तरह यहां भी न हो जाए.


जांच की मांग
नगरपालिका के सभासद भी इस मुक्तिधाम को घोटाले का मुक्ति धाम बता रहे हैं. सभासद कह रहे है कि 2007 में शिलान्यास होने के बाद 2016 से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ जो अब तक पूरा नहीं हो सका है. क्या ये बड़े घोटाले की तैयारी का नतीजा है. मुक्तिधाम के निर्माण में लाखों रुपया खर्च किया गया है लेकिन इसकी हालात देखकर ऐसा लगता है कि पैसा सिर्फ कागजों पर ही खर्च हुआ है. मुक्तिधाम के नाम पर पैसा डकारने का काम हुआ है. सभासद इसकी जांच जिलाअधिकारी से कराने की मांग की है.


उपजिलाधिकारी ने लगाई फटकार
वहीं, गाजियाबाद की घटना के बाद उपजिलाधिकारी बांसी जग प्रवेश ने भी इस मुक्तिधाम का निरीक्षण किया है. अधिकारी ने इसकी हालात को देखकर जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई है. उपजिलाधिकारी ने बताया कि सीमेंट के टूटे स्लैब को बदलवाने और अधूरे पड़े काम को जल्द से जल्द पूरा कराने का निर्देश दिया है. रही बात घोटाले की तो, ये जांच का विषय है.



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