परिषदीय स्कूलों का बुरा है हाल, पढ़ने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं छात्र
एक शिक्षक कक्षा 1 से 5 तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाता है। नतीजा जब शिक्षक एक क्लास में होता है तो दूसरी क्लास के छात्र छात्राएं इंतजार करते हैं।
लखनऊ, (शैलेष अरोड़ा)। सरकार ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों को जूते मोजे, स्वेटर बांटने की शुरुआत की। स्कूलों को मॉडल बनान शुरू किया। किताबें भी पहले के मुकाबले जल्दी पहुंचने लगीं। स्कूल में अगर छात्र-छात्राओं को किताबें, बैग, यूनिफॉर्म सब कुछ दे दिया जाए लेकिन वहां टीचर ही ना हो तो क्या फायदा। सूबे के हजारों परिषदीय स्कूलों का कुछ ऐसा ही हाल है। कोई स्कूल सिर्फ शिक्षा मित्र के भरोसे चल रहा है तो कोई सिर्फ एक टीचर के सहारे।
पढ़ने के लिए अपनी बारी का करते हैं इंतजार प्रदेश के नगर क्षेत्र में चलने वाले प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में सालों से शिक्षक न भेजे जाने का खामियाजा लाखों छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। हालात यह है की कई स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक कक्षा 1 से 5 तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाता है तो कई जगह एक भी परमानेंट टीचर नहीं। नतीजा जब शिक्षक एक क्लास में होता है तो दूसरी क्लास के छात्र छात्राएं इंतजार करते हैं।
कैसे पूरा होगा 21 लाख नामांकन का लक्ष्य इन स्कूलों के हाल देख कर तो ऐसा लगता है बेसिक शिक्षा विभाग खुद अपने स्कूलों को बदहाल कर कॉन्वेंट स्कूलों को बढ़ावा देने में लगा है। लखनऊ के कैबिनेट गंज, भीखमपुर प्राइमरी स्कूल समेत प्रदेश भर के हजारों स्कूलों में आज सिर्फ एक-एक शिक्षक है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस साल 21 लाख छात्र-छात्राओं का नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इन हालात में ये कैसे पूरा होगा।
यहां सालों से नहीं हुई शिक्षकों की भर्ती बेसिक शिक्षा विभाग के नगर क्षेत्र में प्रदेश भर में करीब 4,516 प्राइमरी और 1,208 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। पिछले कुछ सालों में सभी सरकारों ने शिक्षकों की भर्तियां तो खूब कीं, लेकिन सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो नगर क्षेत्र के स्कूलो में 30 साल से भी अधिक समय से कभी शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए विभाग के पास दो तरीके हैं। पहला शिक्षकों की भर्ती और दूसरा ग्रामीण से नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों का ट्रांसफर।
ट्रांसफर और समायोजन भी भूला विभाग पिछले कई सालों में सिर्फ 3 बार ही ग्रामीण क्षेत्रों से नगर क्षेत्रों में शिक्षकों का समायोजन और ट्रांसफर किया गया। 2001, 2002 और 2010-11, इसके बाद 2016 में एक बार फिर ऐसा करने का शासनादेश तो हुआ लेकिन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही 2017 में विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू होने से यह रुक गया। नगर क्षेत्र में शिक्षा मित्रों के समायोजन से जो कमी पूरी हुई थी तो जुलाई 2017 में उन शिक्षामित्रों का समायोजन भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रद हो गया।
जल्द शिक्षक भर्ती करने का दावा बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री अनुपमा जायसवाल भी शिक्षकों की कमी को बड़ी समस्या मानती हैं। उनका कहना है की अगली शिक्षक भर्ती में नगर क्षेत्र के स्कूलों को भी शिक्षक दिए जायेंगे। अब इंतजार है की कब 69 हज़ार पदों की सहायक अध्यापक भर्ती पूरी होगी और कब इन स्कूलों के छात्र छात्राओं को शिक्षक मिलेंगे।
हालात बताने को काफी हैं ये आंकड़े
- नगर क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों में प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के कुल 17,195 पद हैं जिनमे से सिर्फ 4,289 पद भरे हैं और 12,906 खाली।
- यानी 4516 प्राइमरी स्कूलों के लिए 4289 शिक्षक। इसका मतलब हर स्कूल के लिए 1 शिक्षक का भी औसत नहीं।
- इसी तरह नगर क्षेत्र के अपर प्राइमरी स्कूलों में प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के कुल 3,591 पद हैं जिनमे से सिर्फ 1,814 पद भरे हैं और 1,777 खाली।