नई दिल्ली, एबीपी गंगा। आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में रविवार को गोदावरी नदी में नाव पलटने से 12 लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद 30 लोग अब भी लापता हैं। सभी लोग नाव से एक पर्यटक स्‍थल पर जा रहे थे। बताया जा रहा है कि नाव पर चालक दल के 9 सदस्‍यों समेत कुल 72 लोग सवार थे। इनमें से 17 लोगों को स्‍थानीय लोगों ने बचा लिया। घटना के बाद मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने ईस्ट गोदावरी के डीएम और अन्य अधिकारियों से मिलकर नाव पलटने की घटना की पूरी जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने जिले में मौजूद मंत्रियों को राहत एवं बचाव कार्य की निगरानी करने के निर्देश दिए।



मुख्यमंत्री ने इलाके में सभी नौका सेवाओं को तुरंत प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए हैं। हादसा कितना भयानक था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एनडीआरएफ की दो टीमें राहत और बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। तेल और प्राकृतिक गैस निगम के हेलीकॉप्टरों और NDRF की टीमों को राहत और बचाव अभियान में मदद के लिए बुलाया गया है।



गौरतलब है कि, सितंबर महीने में ही भोपाल में गणपति विसर्जन के दौरान नाव पलटने से 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग लापता हो गए थे। यह हादसा उस वक्त हुआ था जब लोग नाव पर सवार होकर खाटलपुरा घाट पर गणपति को विसर्जित करने के लिए जा रहे थे। पिछले महीने महाराष्‍ट्र के सांगली जिले में भी जरूरत से ज्‍यादा भरी नाव के पलट जाने से 17 लोगों की डूबने से मौत हो गई थी।



ये दर्दनाक हादसा ऐसे वक्त हुआ है जब बारिश के बाद नदी में नाव संचालन बंद था। इसके बावजूद भी नाव बिना अनुमति के पर्यटकों को लेकर नदी में चली गई। नदी में नाव संचालन की अनुमति न होने के कारण वहां लाइफ जैकेट भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे। साफ है कि हादसा लापरवाही का नतीजा है। राज्य के पर्यटन मंत्री अवंती श्रीनिवास राव ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा है कि इस नाव (रॉयल वशिष्ठ) के पास विभाग से कोई लाइसेंस नहीं था। उन्होंने बताया कि पानी के ऐसे बहाव में टूरिस्ट ट्रिप की इजाजत नहीं दी जाती है, उन्होंने यह भी दावा किया कि नाव चला रहे लोगों ने बैराज पर लगे चेतावनी संदेश को भी नजरअंदाज किया। पर्यटन मंत्री ने गहन जांच की बात कही है। अब तक देश में हुए नाव हादसों में कई कमियां समान रूप से पाई गई हैं। इनमें ऑपरेटर का प्रशिक्षित न होना और बिना लाइसेंस के ऑपरेटर द्वारा नावों का संचालन शामिल हैं।



आंकड़ों के मुताबिक 2001 से लेकर 2015 तक नाव दुर्घटना में 10 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हर साल के हिसाब से ये आंकड़ा 700 के लगभग है। इनमें से आधे से अधिक मौतों तो केवल चार राज्यों- उत्तर प्रदेश (1,753 मौतें), मध्य प्रदेश (1,665), बिहार (1,216) और छत्तीसगढ़ (864) में हुई हैं। इन राज्यों के अलावा असम, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी नौका दुर्घटना में लोगों की मौत हुई है।



यहां यह भी बता दें कि, आंध्र प्रदेश में 2017 में एक ऐसी ही त्रासदी हुई थी जिसमें 21 पर्यटकों की मौत हो गई थी। 2017 में हुए हादसे के दौरान भी लाइफ जैकेट नहीं था और नाव को लाइसेंस नहीं मिला था। इस हादसे के बाद केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने राज्‍यों को पत्र लिखकर कहा था कि एक प्रोटोकॉल का पालन किया जाए ताकि इस तरह की हादसे दोबारा न हों।