इन ग्रहों के प्रभाव ने बापू को बनाया संघर्षशील योद्धा, कहते हैं 'महान महापुरुष योग'
महात्मा गांधी के जन्म के समय शुक्र, बुध और मंगल की अंतरदशा का योग था जिसने उन्हें संघर्षशील योद्धा बनाया। शाकाहारी भोजन और नियमित व्यायाम महात्मा गांधी की अच्छी सेहत का राज था।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। राष्ट्रीय राजधानी के नेशनल गांधी म्यूजियम में सुरक्षित रखी गईं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वास्थ्य से जुड़ी फाइलें किताब की शक्ल में लोगों के सामने आ चुकी हैं। 'गांधी एंड हेल्थ @ 150' शीर्षक से प्रकाशित इस किताब में बताया गया है कि हाई ब्लड प्रेशर की गिरफ्त में होने के बाद भी बापू कैसे खुद को फिट रखते थे। किताब को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से प्रकाशित कराया गया है। किताब में माहात्मा के स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 1938 में बापू का वजन 46.7 किलोग्राम और उनकी लंबाई पांच फीट पांच इंच थी।
क्या कहती है गांधी जी की कुंडली किताब में महात्मा की जन्म कुंडली के बारे में भी बताया गया है। जन्म पत्री के मुताबिक, बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को सुबह 7:45 बजे गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। बापू के जन्म के समय शुक्र, बुध और मंगल की अंतरदशा का योग था जिसने उन्हें संघर्षशील योद्धा बनाया। ज्योतिष के मुताबिक इसी योग के कारण बापू को पूरी दुनिया में प्रसिद्धी मिली और वे महान जन नेता के रूप में उभरे। ज्योतिष विद्या के जानकार इसे 'महान महापुरुष योग' के नाम से जानते हैं।
रोज पैदल चलते थे बापू एक वक्त वो भी आया जब बापू बीमार पड़ गए। लेकिन, बीमारी के बावजूद बापू कैसे खुद को फिट रखते थे, इस बारे में किताब के 166वें पेज में खुलासा किया गया है। इस पेज में बताया गया है कि बापू रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे। यही नहीं 1913 से 1948 तक बापू ने लगभग 79,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। किताब के मुताबिक यह दूरी पृथ्वी की गोलाई के लगभग दोगुने के बराबर है। साल 1927 से बापू को हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत सामने आई थी। 19 फरवरी 1940 को बापू का ब्लडप्रेशर 220/110 तक पहुंच गया था। फिर भी बापू जीवित रहे और खुद को शांत बनाए रखा।
मलेरिया की चपेट में आए बापू किताब में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। साल 1925, 1936 और 1944 में बापू तीन बार मलेरिया की चपेट में आए थे। साल 1919 और 1924 में उन्हें अपेंडिक्स और पाइल्स की समस्या भी हुई थी। जब वह लंदन में थे तब उन्हें प्लूरिसी इन्फ्लामेशन की शिकायत हुई, उनको फेफड़े और छाती में तकलीफ से भी जूझना पड़ा था। बापू अंग्रेजी दवाओं को पसंद नहीं करते थे। बीमारियों के इलाज में उनका भरोसा प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद पर बड़ा गहरा था।
आहार को लेकर भी करते थे प्रयोग बापू अपने आहार को लेकर भी प्रयोगधर्मी थे। इस प्रयोग के कारण ऐसे मौके भी आए जब वो मौत के काफी करीब पहुंच गए। हालांकि, शरीर को लेकर उनकी सजगता ने उन्हें इस तरह के संकटों से उबरने में भी मदद की। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने किताब में लिखा है कि हाई ब्लड प्रेशर के बावजूद 1937-1940 के दौरान बापू की ईसीजी रिपोर्ट मामूली बदलावों के साथ सामान्य थी।
शाकाहारी भोजन और नियमित व्यायाम का प्रभाव शाकाहारी भोजन और नियमित व्यायाम महात्मा गांधी की अच्छी सेहत का राज था। पुस्तक के अनुसार उन्होंने दृढ़ता से शाकाहारी भोजन अपनाया और व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाया। गांधी जी का मानना था कि व्यायाम मन और शरीर के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि भोजन मन और शरीर के लिए।