नई दिल्ली, एबीपी गंगा। शनि देव को कर्मों का फल देना वाला माना गया है। कई लोग तो शनि देव की पूजा डर की वजह से करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है शनि देव न्याय के देवता हैं जो इंसान को उसके कर्म के हिसाब से फल देते हैं।
शनिवार के दिन शनि देव पर तेल चढ़ाया जाता है और सरसों के तेल का ही दीपक भी जलाया जाता है। अब मन में सवाल ये आता है कि तेल और शनि देव के बीच क्या संबंध है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि शनि देव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है और कौन सी कथाएं प्रचलित हैं।
पहली कथा रावण से जुड़ी है। रावण अपने अहंकार में चूर था और उसने अपने बल से सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था। रावण का गुस्सा शनि देव पर भी टूटा और उसने शनि देव को भी बंधक बना लिया। इसी वक्त हनुमान जी प्रभु राम के दूत बनकर लंका गए हुए थे। रावण ने अहंकार में आकर हनुमान जी की पूंछ में आग लगवा दी थी। इसी बात से क्रोधित होकर हनुमान जी ने पूरी लंका जला दी।
लंका जल गई और सारे ग्रह आजाद हो गए लेकिन उल्टा लटका होने के कारण शनि देव के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी और वह दर्द से कराह रहे थे। शनि के दर्द को शांत करने के लिए हुनमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की और शनि को दर्द से मुक्त किया था। उसी समय शनि ने कहा था कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। तभी से शनि देव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
दूसरी कथा शनि देव और हनुमान जी के युद्ध से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार एक बार शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया। शनि देव को इतना अहंकार हो गया कि वो हनुमान जी से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। जब शनि देव हनुमान जी के पास पहुंचे तो देखा कि हनुमान एक शांत स्थान पर अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे हैं।
शनि देव ने उन्हें देखते ही युद्ध के लिए ललकारा। जब हनुमान जी ने शनि देव की ललकार सुनी तो वह उन्हें समझाने पहुंचे, लेकिन शनि देव ने कोई बात नहीं सुनी और युद्ध के लिए अड़े रहे। इसके बाद भगवान हनुमान जी और शनि देव के बीच घमासान युद्ध हुआ। युद्ध में शनि देव घायल हो गए जिसके कारण उनके शरीर में पीड़ा होने लगी। इसके बाद हनुमान जी ने शनि देव को तेल लगाने के लिए दिया, जिससे उनका पूरा दर्द गायब हो गया। शनि देव ने तब कहा कि जो मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा, मैं उसकी सभी पीड़ा हर लूंगा और मनोकामनाएं पूरी करूंगा।