काशी हिन्दू विश्व विद्यालय  की पहचान इसकी सादगी और यहां कि पढ़ाई के लिए जाना जाता है, यह विद्यालय पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है, यहां पर पढ़ने के लिए दूर-दराज से छात्र आते हैं. इस विश्व विद्यालय की स्थापना मदन मोहन मालवीय ने की थी. जिन्हें कुछ महामना के नाम से भी जाना जाता है. 


विदेशी शासक होने के बावजूद भी वह कई तरह की परेशानियों के झेलने के बाद  इस विश्व विद्यालय की स्थापना करने  में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. 


आपको बता दें कि सबसे पहले इस विश्व विद्यालय की स्थापना के लिए कदम दरभंगा के रहने वाले कामेश्वर सिंह ने उठाई थी. महामना के साथ इनका भी यह सपना था कि काशी में विश्व विद्यालय बनें. 


आइए जानते हैं महामना को काशी विश्व विद्यालय बनाने के लिए जमीन कैसे मिली


दरअसल, महामना को काशी हिंदू विश्व विद्यालय बनाने के लिए पैसे के साथ- साथ जमीन की भी आवश्यकता थी, ऐसे में वह जमीन मांगने के लिए काशी नरेश के पास पहुंच गए. गंगा में स्नान करने के बाद जब काशी नरेश के सामने उन्होंने जमीन लेने की बात की तो नरेश ने उनके सामने एक शर्त रखी और कहा कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक आप जितनी जमीन पैदल चलकर नाप लेंगे उतनी जमीन आपको मिल जाएगी. फिर महामन ने नरेश की बातों को पूरा करके विश्व विद्यालय के लिए जमीन ली. 


एशिया का सबसे बड़ा विश्व विद्यालय बना


क्षेत्रफल के लिहाज से यह विश्व विद्यालय एशिया का अब तक का सबसे बड़ा विश्व विद्यालय बना है. 13 सौ एकड़ में बने इस विश्व विद्यालय में 6 संस्थान 14 संकाय के साथ 140 विभाग बने हुए हैं. 


कैम्पस के अंदर एक बड़ा शिव मंदिर बना हुआ है, जिसे मशहूर उधोगतपति बिरला ने बनवाया है. इसके अलावा छात्रों के पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी भी बनवाई गई है, जिसमें छात्र आराम से अपनी पढ़ाई को पूरा कर सकें. 


इसके साथ ही गौशाला, छात्रावास , बैंक और पोस्ट ऑफिस भी बने हुए हैं. 


बीएचयू अस्पताल


छात्रों की सुविधा के अलावा बीएचयू अस्पताल भी लोगों के लिए एक वरदान है, हर दिन इस अस्पताल में हजारों मरीजों को सेवा दी जाती है. 


बीएचयू में पढ़ाई करना हर छात्र का सपना होता है. इस कैम्पस में जाने के बाद से एक अलग तरह का माहौल देखने को मिलता है. 


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