लखनऊ, एबीपी गंगा। एक वक्त था जब यूपी में मुन्ना बजरंगी के नाम का डंका बजता था। मुन्ना वो नाम था जो बाहुबलि चेहरे के पीछे की ताकत था। मुन्ना में न तो हिम्मत कम थी और न ही हौसला वो तो बस इस इंतजार में था कि कब उसकी उड़ान शुरू होगी। तो चलिए आपको भी मुन्ना बजरंगी की वो सारी सच्चाई बताते हैं जिसे बेहद कम लोग ही जानते होंगे। जुर्म की दुनिया में मुन्ना बजरंगी के नाम से चर्चित इस कुख्यात गैंगस्टर का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। प्रेम प्रकाश का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक गांव में हुआ था।


डाकुओं पर बनी फिल्मों से था प्यार


प्रेम प्रकाश के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही उसे डाकुओं पर बनी फिल्में देखने का शौक था। यहीं से उसके मन में गैंगस्टर बनने का ख्याल पनपा। पांचवीं के बाद मुन्ना ने पढ़ाई छोड़ दी। छुटपुट लड़ाई-झगड़ों से शुरू हुए सफर ने जल्द ही जुर्म की दुनिया से प्रेम प्रकाश का वास्ता करा दिया।



हथियार रखने का था शौक


प्रेम प्रकाश बड़ा हो रहा था और हथियार रखने का शौक उसे अपराध के दलदल में खींच ले गया। अपराध की दुनिया में उसकी मुलाकात हुई उस दौर में जौनपुर जिले के माफिया गजराज सिंह से। गजराज सिंह का संरक्षण मिलने के बाद प्रेम प्रकाश की ताकत बढ़ने लगी।


शुरू हुआ प्रेम प्रकाश के मुन्ना बजरंगी बनने का सफर


प्रेम प्रकाश के मुन्ना बजरंगी बनने का सफर शुरू हो चुका था। गजराज के लिए मुन्ना कुछ भी करने को तैयार था। मुन्ना को खौफ बढ़ता जा रहा था और उसने 1984 में लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद गजराज के इशारे पर ही मुन्ना ने जौनपुर के बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखा दिया।



मुख्तार अंसारी के गैंग में हुआ शामिल


जुर्म की दुनिया में मुन्ना का कद और ताकत दोनों की बढ़ते जा रहे थे। एक वक्त ऐसा भी आया मुन्ना बजरंगी पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया था। जौनपुर से शुरू हुई मुन्ना के जुर्म की दस्तान धीरे-धीरे पूरे पूर्वांचल में फैल गई। मुख्तार अंसारी के गैंग की धमक मऊ में थी, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। यही वजह थी मुन्ना, मुख्तार के करीब आ गया।


सियासत में हुई मुख्तार की एंट्री


मुख्तार ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और क्राइम की कमान संभाली उसके खास बन चुके मुन्ना बजरंगी ने। साल 1996 में मुख्तार अंसारी ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से इलेक्शन लड़ा और विधायक निर्वाचित हुआ। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई। पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। अंसारी के इशारे पर मुन्ना सरकारी ठेकों और रंगदारी को अंजाम दे रहा था।



मुख्तार ने मुन्ना को सौंपी हत्या की जिम्मेदारी


मुख्तार अंसारी के सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद मुन्ना का दबदबा बढ़ रहा था। मुन्ना को मुख्तार अंसारी के राजनीतिक दबदबे का भी पूरा फायदा मिल रहा था, लेकिन इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय मुख्तार अंसारी के लिए चुनौती बनने लगे। कृष्णानंद राय को मुख्तार अंसारी के दुश्मन ब्रजेश सिंह का साथ मिला था। कृष्णानंद राय का बढ़ता दबदबा मुख्तार अंसारी को रास नहीं आ रहा था। यही वजह रही कि मुख्तार ने कृष्णानंद को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना को सौंप दी।


मुंबई पहुंचा मुन्ना


कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी उत्तर प्रदेश से बाहर चला गया। यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी की तलाश कर रही थी। यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था लिहाजा मुन्ना भागकर मुंबई चला गया, इसके बाद उसका नाम अंडरवर्ल्ड से भी जुड़ा। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में भी मुन्ना बजरंगी के खिलाफ केस दर्ज किए गए।



नाटकीय ढंग से हुई गिरफ्तारी


29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके से नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था इसीलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी।


...और ऐसे हुआ मुन्ना का अंत


मुन्ना सलाखों के पीछे था लेकिन उसके दुश्मन घात लगाए बैठे थे और फिर एक दिन जब मुन्ना बजरंगी को कोर्ट में पेशी के लिए झांसी से बागपत लाया गया। तो जेल के अंदर ही उसे गोली मार दी गई। जेल की चार दीवारी के भीतर हुई इस वारदात ने हर किसी को हैरान कर दिया। बाहुबली मुख्तार अंसारी के खास मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या होने के बाद सूबे में हड़कंप मच गया था।