नई दिल्ली, पंडित शशिशेखर त्रिपाठी। दुकान का वास्तु कैसा होना चाहिए। दुकान के वास्तु का व्यापार की वृद्धि पर कितना असर होता है। क्या हैं दुकान के वास्तु नियम। इस बारे में विस्तार से बताया है आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने। पंडित जी ने बताया कि यदि वास्तु ठीक है तो व्यापार में वृद्धि और विस्तार दोनों करने में एक दैवीय सहयोग मिलता है।


वास्तु कैसा मिलेगा यह बहुत कुछ अपने हाथ में नहीं, यह सब प्रारब्ध से कनेक्ट है। दुकान किस दिशा में होगी, यह खरीदते समय चुनाव की जा सकती है, लेकिन परिस्थिति और उपलब्धता का भी इसमें बहुत अहम रोल होता है। मानिये किसी के पास दक्षिण मुखी दुकान पहले से ही है अच्छी मार्केट में हैं, वर्तमान परिस्थिति में दूसरी दुकान लेने की क्षमता नहीं है आदि आदि.. तो क्या सब कुछ निगेटिव ही होगा। क्या उसकी वाकई इतनी नकारात्मकता मिलेगी। पंडित का कहना है कि हम लोग दुकान के चुनाव की बात नहीं कर रहे हैं, हम लोग बात करेंगे कि परमात्मा ने जो भी दुकान उपलब्ध कराई है -क्या उसमें कुछ सुधार या उपाय करके उसकी नकारात्मकता को कम किया जा सकता है।


दुकान के विषय में समझते हैं




  • सबसे पहले बात करते हैं दुकान की दिशा की। दुकान यदि पूरब मुखी हो, तो दुकान समय पर खोलनी चाहिए, जल्दी बिकने वाले उत्पाद बेंचे।

  • दुकान ईशान दिशा में है, तो दुकान के मुख पर यानी द्वारा पर वजन नहीं रखना है।

  • उत्तर दिशा में दुकान का होना बहुत अच्छ होता है, व्यापारिक स्थति अच्छी रहती है।


-कस्टमर दुखी होकर न जाएं, विवाद न हो।


-हर समस्या का हल करना मुखिया का दायित्व है।


-सामान बदलने में आना कानी कतई नहीं करनी चाहिए।




  • वायव्य कोण - यह अच्छा है. साख बनाना चाहिए


-यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विज्ञापन करना चाहिए।


-मेन बोर्ड बहुत अच्छा होना चाहिए।


-जो माल कम बिकने वाले हों, उनको द्वार के आस पास डिस्प्ले में लगाना चाहिए।




  • पश्चिम मुखी दुकान पुश्तैनी दुकान है, तो ज्यादा ग्रोथ करती है।


-दो शिफ्ट में लोगों को बैठना चाहिए।


-यानी दुकान जो खुलवाएं वहीं बंद न कराएं।


नैऋत्य  




  • शस्त्रों एवं उपयोगी वस्तुओं की दुकाने यहां ठीक रहती है

  • द्वार पर थोड़ा भारी रखना चाहिए.

  • यहां पर ज्यादा बिकने वाले सामान का डिस्प्ले लगाना चाहिए


दक्षिण


-इस दिशा को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए। दक्षिण दिशा यम की होती है और इन देवता का काम सृजन करने के बजाए समापन करने का होता है, लेकिन आपको चिंता नहीं करनी चाहिए।


दक्षिण मुखी द्वार में कोई व्यक्ति को द्वार पर रखना चाहिए। जो ग्राहक आने पर दरवाजा खोले, दक्षिण मुखी द्वार वाली दुकान या शोरूम में ऐसा होता है उनको बहुत लाभ होता है.और कहीं यदि द्वार खोलने वाला दिव्यांग हो तो बहुत ही अच्छा रहता है।




  • दुकान में प्रवेश करने के बाद कुछ चेयर या बैंच होनी चाहिए, जिससे ग्राहक बैठ सके।

  • यदि संभव हो तो ग्राहक बैठ कर अपने लिए उत्पाद को चुन सके तो अति उत्तम रहेगा।

  • दुकान में बिक्री करने वालों को पश्चिम की तरफ खड़े होकर बेचना चाहिए, यानी काउंटर ऐसे लगाएं कि दुकान में प्रवेश करके ग्राहक अपने बाय हाथ की तरफ मुड़ जाए,  यानी बिक्री करने वालों का मुख पूर्व में हो सके।


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