झांसी में चरम सीमा पर है भ्रष्टाचार... प्रशासनिक समस्याएं भी है हजार
झांसी के लोगों का कहना है कि प्रशासन जनता की पीढ़ाओं के प्रति असंवेदनशील है। प्रशासन के हर कतरे पर भ्रष्टाचार का पहरा है।
झांसी, एबीपी गंगा। झांसी के लोगों को प्रशासनिक स्तर पर कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें जमा चुका है। आम लोगों का कहना है कि प्रशासन जनता की पीढ़ाओं के प्रति असंवेदनशील है। प्रशासन के हर कतरे पर भ्रष्टाचार का पहरा है। दस्तावेज आगे तभी बढ़ता है जब बाबू की परिक्रमा की हो। बिना नोट दिखाए अधिकारियों के दर्शन नहीं होते हैं।
स्थानीयों के मुताबिक, दूर-दराज गांव का गरीब आदमी अपनी शिकायतें लेकर जिला मुख्यालय अधिकारियों के सामने अपनी फरियाद लिए आता है, मगर उनसे मुलाकात मुश्किल है। वहीं, बाबू बिना सुविधा शुल्क लिए फाइल आगे नहीं बढ़ाते हैं। वैसे तो आला अधिकारियों द्वारा छोटे अधिकारियों को गांव-गांव जाकर ग्रामीणों की सुविधा के लिए कैंप लगाने को कहा गया है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। इस बाबत कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई, लेकिन हालात जस के तस ही रहे।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभ से वंचित आजादी के बाद सरकार की तरफ से देश के गरीबों की मदद के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) लागू की गई। हालांकि, गांव और शहर की जनता इसका ज्यादा लाभ नहीं उठा सकी। सरकारी अधिकारियों ने इस योजना को पलीता लगाने का काम किया है। झांसी की जनता मानती है कि मोदी सरकार की ओर से डिजिटलाइजेशन लागू करने के बाद राशन चोरी पर कुछ अंकुश जरूर लगा है। हालांकि अभी भी कोटेदार प्रधान से मिलकर गरीबों के राशन को काले बाजार के हवाले कर रहे हैं। इसके पीछे भी कोटेदारों का अलग ही राग है।
कोटेदारों का कहना है कि सरकारें उनके कमीशन के लिए गंभीर नहीं हैं। इसके अलावा आपूर्ति विभाग के निरीक्षक से लेकर अधिकारी और मंत्री तक को हर महीने कमीशन के तौर पर निश्चित रकम दी जाती है। अब आधार कार्ड से राशन मिलता है तो वर्तमान सरकारों की सख्ती के कारण इसमें काफी सुधार हो रहा है। सख्ती के बावजूद कोटेदार गरीबों को परेशान करने का काम कर रहे हैं।