वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय: सोमवार को लोलार्क छठ है. महादेव की नगरी काशी में मौजूद लोलार्क कुंड में स्नान से चर्म रोग से मुक्ति मिलती है इसके साथ ही संतान कामना की पूर्ति का आशीर्वाद भी मिलता है. हालांकि, कोरोना काल मे इस बार इस कुंड पर दर्शन और स्नान प्रतिबंधित है. कुंडों के शहर वाराणसी में स्थित ये ऐसा कुंड है जहां स्नान मात्र से संतान कामना पूर्ण होती है. भाद्रपद की षष्टी तिथि को इस कुंड के दर्शन और स्नान की महत्ता है. कहते हैं यहां पर किया गया दर्शन फल जरूर देता है.


दिव्य कुंड की महत्ता खास है. इसे सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि देवासुर संग्राम के समय भगवान सूर्य के रथ का पहिया यहां गिरा था और तभी इस कुंड का निर्माण हुआ. आज भी काशी में उदय होने वाले सूर्य की पहली किरण इस कुंड में पड़ती है और यहां स्नान मात्र से चर्म रोग दूर होते हैं, संतान कामना पूरी होती है.


इस बार कोरोना महामारी के चलते यहां स्नान पर रोक है लेकिन भक्तों की इस कुंड में असीम श्रद्धा है. भक्त पहले इस कुंड के दर्शन कर यहां डुबकी लगाते हैं उसके बाद यहीं मौजूद लोलरकेश्वर महादेव मंदिर में मत्था टेकते हैं. मान्यता है कि इससे पूरे साल इनके घर में सुख शांति बनी रहती है. कुंड की दिव्यता और लोगों का विश्वास यहां भीड़ को खींचकर लाता है.


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