Kotahi Mata ka Mandir: गोरखपुर (Gorakhpur) के कोटही माता मन्दिर (Kotahi Mata mandir) श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. बरसों पहले जब ये क्षेत्र वन से घिरा हुआ था, तब जंगल में रहने वाले बंजारों ने मां कोटही देवी (Maa Kotahi Devi) की आराधना की थी. तभी से हर नवरात्रि पर यहां भक्त मां के चरणों मे शीश झुकाकर मन्नत मांगते हैं और मां उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. 


रुद्रपुर में है मां कोटही देवी का प्राचीन मंदिर 


गोरखपुर से दक्षिण दिशा में 20 किमी की दूरी पर खजनी कस्बे के रुद्रपुर गांव में मां कोटही देवी का प्राचीन मंदिर है. शारदीय नवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. माता के दरबार में मांगी गई हर मुराद भी पूरी होती है. कोटही माता मंदिर में शारदीय नवरात्र पर पूजा-पाठ होता है. मंदिर पर भक्त कोविड-19 का पालन करते हुए मां के चरणों में शीश झुका रहे हैं. शारदीय नवरात्र में कोटही मन्दिर मां के दर्शन और पूजन के लिए आस-पास के ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है. विशेषकर शारदीय नवरात्र में भीड़ अधिक होती है.


घने जंगलों के बीच है दवी का मंदिर 


ऐसी मान्यता है कि, मां की आराधना कर जो भी मन्नतें मांगता है, उसकी मुरादें मां अवश्य पूर्ण करती हैं. कालांतर में यहां विशाल जंगल हुआ करता था. रात तो दूर दिन में भी भय के चलते लोगों का कभी इधर से आना-जाना नहीं होता था. इस घने जंगल में जानवरों और पक्षियों के बीच केवल बंजारे ही रहते थे. मान्यता है कि, उन्होंने ही आराधना कर मां कोटही को खुश किया और स्थापित मूर्ति के जगह ही मां ने प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया. बंजारे ही यहां मां कोटही की पिंडी स्थापित किए. उनके जाने के बाद जब धीरे-धीरे जंगल का कटान शुरू हुआ तब यह मंदिर आम लोगों की आस्था का केंद्र बन गया.


यहां पूजा-अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि, उनकी इस मंदिर में बड़ी आस्था है. वे लोग हर नवरात्रि पर मां कोटही देवी के दरबार के मत्था टेकने के लिए आते हैं. ये मंदिर सदियों पुराना है. बरसों से यहां पूजा-अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि, मां के दरबार में भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.



ये भी पढ़ें.


Uttarakhand Election: उत्तराखंड में शाह के दौरे से पहले BJP ने तैयार की रणनीति, 20 सूत्रीय कार्यक्रम तैयार