Krishna Janmabhoomi Case: शाही ईदगाह मामल में HC के फैसले पर मौलाना खालिद रशीद बोले- 'कभी भी किसी दूसरे की जमीन पर...'
Shahi Idgah Mosque Case: श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के विवाद पर मुस्लिमक्ष पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई थी. मुस्लिम पक्षकारों का कहना था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.
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Krishna Janmabhoomi Dispute: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमीश्नर नियुक्त करने की अनुमति दी है. अब इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वे की मंजूरी देते हुए इस विवाद पर कमिश्नर नियुक्त करने को कहा. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रमुख मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की प्रतिक्रिया सामने आई है.
शाही ईदगाह मामले को लेकर इससे पहले भी लोग सुप्रीम कोर्ट गए थे, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रखने को कहा है. इसी की बुनियाद पर सुनवाई चल रही है. हम मुस्लिमों का यही स्टैंड है कि हम लोग किसी की दूसरी जमीन पर मस्जिद नहीं बनाते हैं. आप सब जानते हैं कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 भी मौजूद है, जिसके तहत ये कानून बनाया गया है कि किसी भी पूजा स्थल पर सवाल नहीं उठाया जाएगा.
VIDEO | Shri Krishna Janmabhoomi case: Islamic Centre of India head Maulana Khalid Rasheed Farangi Mahali reacts on Allahabad High Court approving survey of Shahi Idgah complex. pic.twitter.com/O7SRFI6BGx
— Press Trust of India (@PTI_News) December 14, 2023
मस्जिद में कमल के आकार का एक स्तंभ- विष्णु जैन
श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद पर को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि मैं अदालत के आदेश का स्वागत करता हूं. इसके साथ ही विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस याचिका में कहा गया कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं, जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी.
जमीन के स्वामित्व का कोई विवाद नहीं
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 नवंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था और इस दिन विवादित परिसर की 18 याचिकाओं में से 17 पर सुनवाई हुई थी. जिन याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई वह सभी मथुरा जिला अदालत से इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिफ्ट हुई थीं. इस पूरे विवाद में मंदिर का पौराणिक पक्ष रखते हुए पक्षकार ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र ने मथुरा मंदिर का निर्माण कराया था, मंदिर के लिए जमीन दान में मिली. इसलिए जमीन के स्वामित्व का कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह बनाई गई, इस मामले पर पूरा विवाद है.
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