Kundarki By-Election 2024: उत्तर प्रदेश की जिन 9 विधानसभा सीटों पर विधान सभा उपचुनाव हो रहा है उनमें से एक मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट भी है. ये सीट सपा विधायक के जियाउर रहमान बर्क के सांसद बनने के बाद रिक्त हुई है. इस सीट पर अधिकतर सपा और बसपा का ही कब्जा रहा है. बीजेपी आज तक यहां चुनाव नहीं जीत सकी है. बसपा ने यहां मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव चला है, ऐसे में सपा की मुश्किलें बढ़ सकती है. 


कुंदरकी सीट मुस्लिम बहुत सीट मानी जाती है लेकिन, इस बार यहां चुनावी मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है. अभी तक इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी से रफ़त उल्लाह उर्फ नेता छिद्दा, आजाद समाज पार्टी से हाजी चांद बाबू मलिक और AIMIM ने हाफिज वारिस को प्रत्याशी घोषित किया है. जबकि सपा और बीजेपी ने अभी तक उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है. 


बसपा के दांव से बढ़ेगी सपा की मुश्किल
माना जा रहा है कि सपा और बीजेपी जल्द ही इस सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सकती है. लेकिन, इससे पहले कुंदरकी सीट पर तीन मुस्लिम उम्मीदवारों के आने से मुस्लिम वोट का बिखराव हो सकता है, जिससे सपा की मुश्किल बढ़ सकती है. बसपा और आसपा दोनों दल मुस्लिम और दलित गठजोड़ के बनाते हैं तो सपा के पीडीए को फॉर्मूले को झटका लगेगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा. 


अगर ऐसा होता है तो जो कुंदरकी सीट अब तक सपा का मजबूत गढ़ मानी जाती है उसमें बीजेपी सेंध लगा सकती है. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के जिया उर रहमान बर्क को 125792 वोट मिले थे जो कुल मतों का 46.28 प्रतिशत था जबकि भाजपा प्रत्याशी कमल कुमार को 82630 वोट मिले थे जो कुला मतों का 30.04 प्रतिशत था. 2024 के लोक सभा चुनाव में भी इस कुन्दरकी विधान सभा सीट पर सपा ने 57572 वोटों से जीत हांसिल की थी.  


बीजेपी ने लगाई पूरी ताकत
ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है लेकिन, इस बार भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए पूरा दम लगाया हुआ है. प्रदेश के चार मंत्रियों को कुन्दरकी सीट जिताने की ज़िम्मेदारी दी गई है ऐसे में मुक़ाबला कड़ा हो गया है तो वहीं तीन मुस्लिम प्रत्याशियों के आने से समीकरण भी बदलते दिख रहे हैं. साल 1993 से अब तक इस सीट पर तीन बार बसपा और चार बार सपा के विधायक रह चुके हैं. 


यहां की जनता के मुद्दों की अगर बात करें तो बेरोजगारी, खराब सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य और खराब कानून व्यवस्था मुख्य समस्याएं हैं. राम गंगा नदी में हर साल बाढ़ आ जाने से यहां के किसानों को फसलों का बड़ा नुकसान होता है. इस इलाके में कोई बड़ा उधोग न होने के कारण युवा बेरोजगार हैं. इसके साथ ही यहां राजकीय डिग्री कालेज की लंबे समय से मांग चली आ रही है.