हस्तिनापुर में मिले कुषाण कालीन बर्तन, ASI को सौंपे गए सभी अवशेष
कर्ण मंदिर के पास प्राचीन बर्तनों के अवशेष मिले. बताया जाता है कि मिट्टी खिसकने से यहां वर्षों पुराना मिट्टी का कटोरा, दीपक, घड़े आदि मिले हैं.
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मेरठ: रहस्यों से भरे हस्तिनापुर में कुषाण काल के बर्तनों के अवशेष मिले हैं. दीपक, मिट्टी का कटोरा, घड़े आदि अवशेषों को एएसआई के हस्तिनापुर कार्यालय को सौंप दिया गया है.
मेरठ से चालीस किलोमीटर दूर पांडवों की राजधानी रही हस्तिनापुर की मिट्टी रहस्यों से भरी है. यहां महाभारतकाल के अवशेष पहले भी मिलते रहे हैं. लेकिन बीते दिनों में यहां कर्ण मंदिर के पास प्राचीन बर्तनों के अवशेष मिले हैं. मां कामाख्या सिद्ध पीठ के पास से पुरातन अवशेष मिलने से रिसर्च कर रहे लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है. बताया जाता है कि मिट्टी खिसकने से यहां वर्षों पुराना मिट्टी का कटोरा, दीपक, घड़े आदि मिले हैं.
नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के चेयरमैन प्रियंक भारती ने बताया कि मिट्टी के कटोरे का वजन एक किलो से ज्यादा है. हो सकता है कि इसे पूजा पाठ में प्रयोग किया जाता रहा होगा. इसके साथ कुछ और भी बर्तन प्राप्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 1950-52 में खुदाई के दौरान डा. बीबी लाल को उल्टा खेड़ा टीला और बूढ़ी गंगा के समीप से प्रचुर मात्रा में अवशेष प्राप्त हुए थे. जिन्हे 1100-800 ईसा पूर्व के कालखंड में रखा गया था. यहीं बर्तन महाभारत में वर्णित कई स्थलों से प्राप्त किए गए हैं. प्रियंक ने बताया है कि ऐसा पॉट पहली बार हस्तिानपुर से बरामद किया गया है.
प्रियंक का कहना है कि बर्तन कुषाण कालीन सभ्यता के हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये बर्तन 10 से 15 वीं शताब्दी के प्रतीत होते हैं. हालांकि वर्तमान में यह मंदिर खुर्दबुर्द दशा में है. प्रियंक का कहना है कि उनके द्वारा किया जा रहा शोध जारी है. शीघ्र ही मंदिर की पौराणिकता को लेकर कुछ अहम तथ्य सामने लाए जाएंगे.
मंदिर के पुरातात्विक महत्व को लेकर ट्रस्ट द्वारा एएसआई को पत्र भी लिखा गया है. शोध में मिले सभी अवशेष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांडव टीले पर तैनात कर्मचारी अरविंद राणा को सौंप दिए गए है. अरविंद राणा का कहना है कि प्राप्त अवशेषों के बारे में विभागीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.
प्रियंक का कहना है कि अगर यहां पर फिर से उत्खनन हो तो यहां महाभारतकालीन अवशेष और भी मिल सकते हैं. उन्होंने बताया कि मिट्टी के खिसकने से की वजह से ये अवशेष मिले हैं. अगर यहां दोबारा उत्खनन हो तो और भी रहस्य पर से पर्दा उठ सकता है लेकिन फिलहाल यहां उत्खनन पर रोक लगी हुई है. प्रियंक का कहना है कि अगर हस्तिनापुर में फिर से उत्खनन शुरु होता है तो ये स्थान महाभारतकालीन साक्ष्यों को सजोने में वैश्विक पहचान हासिल करेगा.
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