UP News: ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की भारत सरकार की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना कुशीनगर (Kushinagar) में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. जनपद में 191 गांवों में ओवर हेड टैंक बनाए गए हैं. जिसकी लागत लगभग 300 करोड़ होगी, लेकिन किसी भी गांवों में यह शुद्ध पेयजल आपूर्ति नहीं कर पा रहा है.
क्या बोले ग्रामीण?
ग्रामीणों की मानें तो जब से यह टैंक बना उसके बाद से पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी है. कार्यों की गुणवत्ता इतनी घटिया हुई है कि जैसे ही पानी की सप्लाई शुरू की जाती है वह लीकेज में बदल जाती है. ग्रामीणों की मानें तो पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई और सड़क भी तोड़ कर खराब कर दी गई. ग्राम प्रधान भी अब विकास का रोना रो रहे हैं. नीर निर्मल परियोजना में कुशीनगर के 19 गांवों का चयन हुआ. इस मद में लगभग चालीस करोड़ रुपए भी सरकार ने खर्च किया. विशुनपुरा ब्लाक के रोआरी गांव का चयन भी इसी नीर निर्मल परियोजना में हुआ था.
क्या बोले ग्राम प्रधान?
यहां के तत्कालीन ग्राम प्रधान वरुण राय का कहना है कि कार्यों की गुणवत्ता इतनी घटिया है कि वह पानी की सप्लाई नहीं कर पाती है. तत्कालीन अधिकारियों के दबाव में विभाग ने जबरदस्ती इसको ग्रामसभा को हैंड ओवर करा दिया. पिपरा बुजुर्ग में तो ओवर हेड टैंक बने लगभग दस साल हो गए. लेकिन ग्राम प्रधान ने इसको हैंड ओवर ही नहीं लिया है. गांवों में यह टैंक शो पीस बनकर खड़ा है.
जल निगम के अधिशाषी अभियंता अनुराग गौतम से इस बाबत सवाल पूछा तो उनका कहना है कि उसके रखरखाव का कोई पैसा नहीं आता है इसलिए दिक्कत हो रही है. जब घटिया निर्माण का सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि अभी मैं यहां नया आया हूं.
नहीं रखा गया गुणवत्ता का ख्याल
कुशीनगर जनपद में कुल 1003 ग्राम सभा हैं. पूरे जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराने के लिए विभिन्न योजनाओं से अभी 191 ओवर हेड टैंक बनाए गए हैं. इसमें नीर निर्मल परियोजना के तहत कुल 19 ओवर हेड टैंक बनाए गए हैं. गांवों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाई गई है. पाइपलाइन बिछाते समय गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया. इसमें इतना घटिया काम कराया गया कि यह पानी की सप्लाई नहीं कर पाती है और जगह जगह फट जाती है.
जिससे सड़कों पर पानी फैल जाता है. इसलिए यह ओवर हेड टैंक बंद पड़े है. परियोजना धरातल पर तो उतरी है लेकिन कार्य की गुणवत्ता घटिया होने की वजह से संचालित नहीं हो पाई है. यह सभी लगभग 191 ओवर हेड टैंक शो पीस बनकर खड़े हैं. विभाग कहता है कि ग्राम पंचायतों को हैंड ओवर होने के बाद उसके रखरखाव की सारी व्यवस्था ग्राम पंचायतों की है. इस मद में अलग से कोई बजट नहीं आता है. लेकिन निर्माण के समय घटिया निर्माण कराने के सवाल पर चुप्पी साध लेता है. गांव के लोग बताते हैं कि हमे शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रही है.
क्या बोले सांसद?
सांसद विजय दुबे कहते हैं कि यह परियोजना मेरे समय की नहीं है. अगर घटिया निर्माण कार्य हुआ है तो जांच कराई जाएगी. इस पूरे मामले में जल निगम के अधिशाषी अभियंता अनुराग गौतम ने कहा कि टीम बनाई गई है, जो पूरे जनपद में जांच कर रही है कि ओवर हेड टैंक का कंडीशन क्या है. रिपोर्ट आने के बाद शासन से धन की डिमांड की जाएगी और धन अवमुक्त होते ही शुद्ध पेयजल आपूर्ति बहाल कराई जाएगी. घटिया निर्माण कार्य कराए जाने के सवाल पर कहने लगे कि अभी हम कुछ दिन पूर्व ही आए हैं.
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