UP News: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों द्वारा कलश यात्रा पर पथराव करने पर कुबेरस्थान थाना के गांव लक्ष्मीपुर में रविवार को साम्प्रदायिक बवाल बढ़ गया. पथराव से दो छोटे-छोटे बच्चे घायल हो गये. इस पथराव में घायल हुए एक बच्चे को संयुक्त जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. बवाल की खबर लगते ही एसपी धवल जायसवाल ने कई थानों की पुलिस गांव में तैनात कर दिया.
कलश यात्रा पर पथराव के बाद हुए बवाल की जानकारी मिलते ही एएसपी रितेश कुमार सिंह भी गांव में पहुंच गये. घायल बच्चे के पिता ने कुबेरस्थान थाना में तहरीर देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. वहीं पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तकरीबन आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है. अपर पुलिस अधीक्षक रितेश कुमार सिंह पूरी घटना के पीछे बच्चों का विवाद बताया है. वहीं पुलिस ने पथराव की बात से भी इंकार कर दिया है. गांव में फिलहाल शांति है.
कलश यात्रा पर पथराव
ग्रामीणों के मुताबिक, नवरात्र के पहले दिन आज कलश यात्रा निकाली जा रही थी. इस कलश यात्रा में स्त्री-पुरुष और बच्चे सभी शामिल थे. गांव के ग्राम प्रधान मनोज गौंड और घायल बच्चे के पिता नरेश बताते हैं कि दिन के करीब 10.30 बजे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने पहले लाउडस्पीकर बजने पर ऐतराज जताते हुए जुलूस रोक दिया. जिसके बाद वह लाउडस्पीकर बंद कर जैसे ही आगे बढ़े अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति के घर से ईंट के टुकड़े जुलूस पर फेंके जाने लगे.
पथराव में घायल बच्चे अस्पताल में भर्ती
उनका कहना है कि पथराव होने पर दो बच्चे घायल हो गये. घायल पीयूष को संयुक्त जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है. इसके बाद गांव में साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो गया. दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने हो गये. साम्प्रदायिक तनाव की खबर लगते ही एसपी धवल जायसवाल ने गांव में कई थानों की पुलिस तैनात कर दी और चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात होने के बाद गांव में शांति स्थापित हो गयी.
जानें क्यों पैदा हुआ तनाव
अपर पुलिस अधीक्षक रितेश कुमार सिंह के अनुसार लक्ष्मीपुर गांव में हुए बवाल की वजह बच्चों के बीच हुआ झगड़ा है. वह किसी भी तरह की पत्थरबाजी की घटना से साफ इन्कार कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो लक्ष्मीपुर गांव में हुए बवाल की पृष्ठभूमि एक दिन पहले तैयार हो गयी थी, गांव के ग्राम प्रधान ने कब्रिस्तान की भूमि की पैमाइश करा दी थी, जिसको लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग नाराज हो गये थे और एक दिन पहले ही छत पर ईट पत्थर इकठ्ठा कर लिए थे.
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