UP News: कुशीनगर में अपराध की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे अभियान पर कसया पुलिस ने पानी फेर दिया. कसया थाने में सीओ कुन्दन सिंह चोरी का खुलासा करते हुए मीडिया के सामने मातहतों की पीठ थपथपा रहे थे. पकड़े गये युवकों के परिजनों ने कसया पुलिस की पोल खोल दी. उन्होंने पुलिस पर बच्चों को फर्जी तरीके से फंसाने का आरोप लगाया. परिजनों ने थाने में हंगामा कर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. हंगामा बढ़ता देख सीओ गाड़ी में बैठकर चलते बने.


सोमवार को सीओ कुन्दन सिंह चोरी की घटना का खुलासा करने के लिए मीडिया से रूबरू हुए थे. मातहतों की कारस्तानी से अनजान सीओ चोरी की घटना में पांच युवकों के शामिल होने की कहानी पत्रकारों को बताई. उन्होंने कहा कि आरोपियों के पास से चोरी का सामान, नकदी, तमंचा बरामद किया गया है. सीओ ने चोरी की घटना का पर्दाफाश करने में कसया पुलिस की कड़ी मेहनत को सराहा. पुलिसिया कहानी के मुताबिक चोरों का नेटवर्क क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय था. सीओ ने बताया कि पकड़े गये पांचों युवक काफी दिनों से चोरी की घटना अंजाम दे रहे थे. 


पुलिस ने चोरी के मामले में किया गिरफ्तार


आरोपियों में कसया क्षेत्र अंतर्गत करन गुप्ता पुत्र विनोद गुप्ता निवासी बेलवा दुर्गा राय, ऋषि गौतम पुत्र खुबलाल गौतम निवासी खेदनी, सिप्पू यादव पुत्र वीरेन्द्र निवासी सिरसिया रामपुर, सूरज वर्मा उर्फ मुन्ना पुत्र विरेन्द्र कुशवाहा निवासी बरवां जंगल और देवरिया के महुआडीह थाना क्षेत्र निवासी आर्यन मिश्र पुत्र दयाशंकर शामिल है. पुलिस ने चोरों के पास से चोरी की एक बाइक, तीन एंड्राइड मोबाइल , दो गैस सिलेंडर, 50 बेबी बर्न बिस्कुट, नमकीन, एक देशी तमंचा, खैनी के पाउच और 810 रुपये नगद बरामद दिखाए. 


सीओ की प्रेस कांफ्रेंस में परिजनों का बवाल


सीओ कुन्दन सिंह मीडिया के सामने चोरी की घटना का खुलासा कर रहे थे. इस बीच थाना परिसर में मौजूद आरोपित युवकों के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया. परिजन चीख-चीख कर बच्चों को निर्दोष बता रहे थे. उन्होंने पुलिस पर बच्चों को फर्जी तरीके से फंसाने का आरोप लगाया. आरोपी आर्यन मिश्रा की मौसी शशिकला, बहन सिमरन और आरोपित ऋषि गौतम के पिता खुबलाला ने कहा कि तीन दिन पूर्व पुलिस ने 16-17  युवकों को घरों से उठाकर थाने लाई. मोटी रकम लेने के बाद 11 युवकों को छोड़ दिया गया. उन्होंने दरोगा पर पचास हजार रुपये की डिमांड करने का आरोप लगाया. 


आर्थिक तंगी होने के कारण रकम की अदायगी संभव नहीं थी. पुलिस को रुपये देने में असमर्थता जताने पर बच्चों को फर्जी तरीके से फंसाकर जेल भेज दिया. परिजन रोते-बिलखते रहे, महिलाएं पुलिसकर्मियों के पैर पकड़कर इंसाफ की भीख मांगती रहीं लेकिन खाकी वर्दी पर गुहार का तनिक भी असर नहीं हुआ. थाने में गहमा-गहमी और हंगामे का महौल देख सीओ कुर्सी से उठे और गाड़ी में बैठकर चलते बने.


लगभग एक घंटे तक थाना परिसर परिजनों के आरोप-प्रत्यारोप से गरमाया रहा. सूत्रों का कहना है कि तीन दिन पूर्व चोरी के मामले में 16 युवकों को पुलिस ने पकड़ा था. आरोपियों में छह नाबालिग थे. जांच- पड़ताल के बाद 11 युवकों को छोड़ दिया गया. 11 युवकों की रिहाई पर सूत्रों ने प्रभाव और पैसे के इस्तेमाल का आरोप लगाया. 


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