कुशीनगर: मदनी मस्जिद पर बुलडोजर एक्शन के बाद सियासत गरमाई, विपक्ष नेताओं ने लगाए गंभीर आरोप
Kushinagar News: कुशीनगर के हाटा कोतवाली थानाक्षेत्र के हाटा नगर में मदनी मस्जिद पर रविवार को पहुंचे 8 बुलडोजर और पोकलैंड ने मस्जिद के आगे के हिस्से को तीन ओर से ध्वस्त कर दिया.

Kushinagar Madni Masjid: यूपी के कुशीनगर में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बगैर नक्शा पास किए हुए बनी मदनी मस्जिद पर बुलडोजर की कार्रवाई के बाद सियासत गरमा गई है. विपक्ष के नेताओं ने इस कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इसे भाजपा सरकार की तानाशाही करार दिया है. विपक्ष के नेताओं ने ध्वस्त किए गए हिस्से को देखा और मुस्लिम पक्षकारों से वार्ता की. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन कुशीनगर में भी संभल जैसी घटना करवाना चाहता था.
कुशीनगर के हाटा कोतवाली थानाक्षेत्र के हाटा नगर में मदनी मस्जिद पर रविवार को पहुंचे 8 बुलडोजर और पोकलैंड ने मस्जिद के आगे के हिस्से को तीन ओर से ध्वस्त कर दिया. हालांकि एसडीएम और सीओ के साथ भारी पुलिस फोर्स और पीएसी के जवानों की मौजूदगी की वजह से कोई भी विरोध की हिम्मत नहीं जुटा सका. इस कार्रवाई के बाद सोमवार को मदनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण को लेकर सियासत गरमा गई. विपक्ष के नेताओं ने मस्जिद के ध्वस्त किए गए हिस्से को देखा और मुस्लिम पक्षकारों से वार्ता की.
लोगों ने धैर्य से काम लिया- पूर्व मंत्री
सपा नेता और पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने कहा कि बहुत दिनों के बाद हाटा में साम्प्रदायिक दंगा कराने की कोशिश जिला प्रशासन ने किया. हाटा की जनता ने संयम से काम नहीं लिया होता तो यूपी में दूसरी संभल की घटना हुई होती. यहां के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन लोगों ने धैर्य से काम लिया. ये जो जमीन है, वो 29 डिसमिल है. ये बैनामे की जमीन है. इसे हाजी साहब ने खरीदा है.
निवर्तमान एसडीएम ने जब इसकी पैमाइश की तो 28 डिसमिल में मस्जिद बनी है. एक डिसमिल बची है. प्रशासन का कहना है कि नक्शा पास नहीं है. जबकि एक मंजिला नक्शा पूर्व चेयरमैन ने निरस्त किया था. ये लोग हाईकोर्ट गए थे. 8 फरवरी तक स्टे था. इसके बाद जिला प्रशासन को नोटिस देना चाहिए. मस्जिद के पक्षकारों को 15 दिन में जवाब देने होंगे नहीं तो मस्जिद पर कार्रवाई की बात करते.
माहौल बिगाड़ने का प्रयास
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 22ञ12 में एक कानून पास किया था कि धार्मिक स्थल पर निर्माण हो चुका है तो उसे गिराया नहीं जा सकता है. हाईकोर्ट के आदेश की भी अवहेलना करके साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने का प्रयास जिला प्रशासन ने किया गया है. मुख्यमंत्री और शासन तक गलत तथ्यों को यहां के नेताओं और अधिकारियों ने पहुंचाया है.
पूर्व एसडीएम ने जो पैमाइश किया है वो आनलाइन पोर्टल पर साफ किया है कि मस्जिद किसी सरकारी जमीन पर नहीं है. उसके बावजूद भी किसके आदेश पर ये मस्जिद ध्वस्त किया गया है. यूपी सरकार से उनकी मांग है कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाए. गोरखपुर मंडल में कुशीनगर जिला आता है. ये बहुत ही गंभीर मामला है. जनता का ध्यान बांटने के लिए जगह-जगह समाज में तनाव पैदा करके हिन्दू-मुसलमान में खाई पैदा करके राजनीति कर रहे हैं. इसका अंत आज नहीं तो कल होगा. सपा इनके साथ खड़ी है.
क्या बोले अजय कुमार लल्लू
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जैसे यहां के स्थानीय लोगों का कहना है वो बता रहा है कि पूर्व एसडीएम ने जमीन का सीमांकन किया है. इसे बाउंड्रीवाल भी बनाई जा चुकी है. इन लोगों ने गैर कानूनी रूप से नियम विरुद्ध बुलडोजर की कार्रवाई की है. जब 8 फरवरी तक स्टे था तो न्यायालय के निर्णय का इंतजार करना चाहिए था. कौन सी ऐसी जल्दबाजी थी. स्थानीय पुलिस-प्रशासन को जल्दी-जल्दी तोड़ने की कवायद की गई.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस सरकार में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, कानून और रोजगार की बात नहीं है. हिन्दू-मुसलमान की राजनीति करते हैं. मंदिर और मस्जिद के निर्माण की जो प्रक्रिया है. उसमें उन्होंने नहीं सुना है कि उसमें नक्शे की बात कही आती है. नगर पालिका बता रहा है कि उसकी जमीन है तो आज तक कहां था. जब निर्माण हो रहा था, तो अपनी बात क्यों नहीं रखी. जब तोड़फोड़ की कार्रवाई करनी थी, तो नोटिस क्यों नहीं दिया गया.
उन्होंने कहा कि जब 8 फरवरी तक स्टे था, तो 9 या 10 तारीख में नोटिस क्यों नहीं दी गई. सरकार की मंशा साफ थी कि बड़ी घटना की रचना करनी थी, लेकिन यहां के स्थानीय लोगों के संयम की वजह से कोई घटना नहीं हुई. सरकार का काम किसी के मन में डर और भय पैदा करना नहीं होना चाहिए. जिन लोगों पर भी फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए हैं, उसे खत्म करना चाहिए. जिन अधिकारियों ने नियम विरुद्ध बुलडोजर चलाया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
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असंतोष का जन्म होगा- सपा
सपा जिलाध्यक्ष सुकरुल्लाह अंसारी ने प्रशासन की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और कहा कि ज्यादातर मंदिर और मस्जिदों का निर्माण सरकारी बंजर भूमि पर हुआ है. यदि इस आधार पर धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई की जाएगी तो यह समाज में असंतोष को जन्म होगा. उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि प्रशासन को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जो जानकारी मिली कि 32 डिसमिल जमीन मस्जिद के नाम से रजिस्टर्ड है. शेष अगल-बगल खाली होगी. वे जानना चाहते हैं कि मस्जिद के थोड़ी दूर पर नगर पालिका का कार्यालय स्थित है. मस्जिद बन रही थी, तो नगर पालिका और प्रशासन कहां था. इस सरकार में लोकतंत्र रह नहीं गया है. हिन्दू समाज को ये संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है कि ये सरकार मुस्लिम विरोधी है.
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