Uttarkashi Tunnel Crash: रेस्क्यू ऑपरेशन रुकते ही थम जाती हैं मजदूरों के परिजनों की सांसें, देवी मां से कर रहे सलामती की दुआ
UP News: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में श्रावस्ती के रहने वाले 6 मजदूर फंसे हुए हैं. जिन्हें निकाले जाने की कोशिश लगातार चल रही है. इस बीच उनके परिजन मंदिर जाकर देवी से सलामती की दुआ मांग रहे हैं.
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Shravasti News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में से 6 मजदूर उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले हैं. आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 15वां दिन है. वहीं रेस्क्यू में सफलता नहीं मिलने से इन सभी 6 मजदूरों के परिजन निराश हो गए हैं. परिवार वालों को जो उम्मीदें थी वह लगातार टूटती नजर आ रही हैं. परिवार वालों के सब्र का बांध भी उन मशीनों के साथ टूट रहा है. परिवार की महिलाओं की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. मजदूरों के परिजनों का कहना है कि खबरें सुनकर आस लगती है, लेकिन मशीनों की खराबी से फिर आस टूट जाती है.
पूरा मामला श्रावस्ती जनपद के सिरसिया के थारू बहुल क्षेत्र मोतीपुर कलां का है. जहां पर उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सुरंग में श्रावस्ती के 20 मजदूर काम करने के लिए गए थे. 12 नवंबर को जब रात की शिफ्ट में यहां के 6 मजदूर सुरंग में काम कर रहे थे. तभी सुबह के समय सुरंग अचानक धंस गई. जिससे श्रावस्ती समेत पूरे देश के 41 मजदूर इस सुरंग में फंस गए.
रेस्क्यू ऑपरेशन रुकने से टूट रही उम्मीद
फिलहाल इसके बाद शासन और प्रशासन ने युद्ध स्तर पर इन मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया है. एक ओर जहां रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता भी हाथ लगती है, लेकिन उसके बाद हर रोज कभी ऑगर मशीन का टूटना, कभी ड्रिल मशीन का फंस जाना जैसे निराशा से भरे संदेश पहुंचते हैं. जिससे सुरंग में फंसे हुए मजदूरों के परिजनों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है.
मंदिर में देवी से की सलामती की दुआ
सुरंग में फंसे सत्यदेव जो मजदूरी करने उत्तरकाशी गए उनके बेटे दिव्यांश का कहना है कि वह रोज गांव के मंदिर में जाकर देवी मां से अपने पिता की सलामती की दुआ कर रहे हैं. दिव्यांश का कहना है कि उनकी अपने पिता से बात हुई है, जिन्होंने वापस आने की बात कही है. फिलहाल दिव्यांश भी रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल होने की उम्मीद लगाए हुए हैं.
रेस्क्यू रुकने से हो रही घबराहट
सुरंग में फंसे मजदूर राम मिलान के बेटे संदीप ने बताया कि उम्मीदें तो बहुत हैं, लेकिन जब वहां पर सरिया फंस जाता है तो उम्मीदें टूट जाती हैं. हम अपने पिता की सलामती की दुआ करने गांव के मंदिर में जाते हैं. दूसरे मजदूरों के परिजनों का कहना है कि समाचार में जब बताते हैं कि आज निकल आएंगे, तो खुशी मिलती है, लेकिन जब सुनते हैं कि मशीन खराब हो गई है, तो यहां सभी को घबराहट होने लगती है.
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