कोटद्वार, एबीपी गंगा। 'जब हम भूखे ही मर जाएंगे तो कोरोना होने और नहीं होने से क्या फर्क पड़ता है, हमें सरकार हमारे गांव तक पहुंचा दे, और हमें कुछ नहीं चाहिए, यदि हमें सरकार द्वारा नहीं छोड़ा जाता है तो हम खुद ही अपने गांव चले जाएंगे, चाहे हमें पुलिस मारे या जेल में डाल दें लेकिन अब हम यहां नहीं रह सकते !


यह दर्द है उन मजदूरों का है जो अन्य प्रदेशों से कोटद्वार में रोजी रोटी के लिए काम करने के लिए आए हैं, आज वह मजदूर सिर्फ और सिर्फ अपने घर जाना चाहते हैं। अपनी गुहार लगाने के लिए यह मजदूर थाने और तहसील के चक्कर काटकर परेशान हो चुके हैं, लेकिन उनकी बात सरकार तक नहीं पहुंच पा रही है। मजदूरों का कहना है प्रशासन द्वारा हमें खाना तो उपलब्ध कराया जाता है लेकिन उससे हमारा पेट नहीं भर पाता है।



हम यहां परेशान हो रहे हैं और हमारे बच्चे घर पर परेशान हो रहे हैं। घर में हमारी फसल नहीं कटी है, फसल बर्बाद हो रही है, ऐसे में हम अब करें तो क्या करें। हम चाहते हैं सरकार अन्य प्रदेशों की भांति हमें भी हमारे घर पहुंचा दे, नहीं तो हमें पैदल जाने की ही परमिशन दे दे। हम पैदल ही अपने घर चले जाएंगे यहां पर घुट घुट कर जीने से तो अच्छा है हम पैदल जाते जाते रास्ते में ही मर जाएं या अपने घर पहुंच जाएं हमें अब कुछ नहीं चाहिए बस हमें सिर्फ अपने घर जाना है।


वहीं प्रशासन का कहना है कि हमें सरकार से अभी तक कोई भी ऐसी गाइडलाइन प्राप्त नहीं हुई है, जिसके आधार पर हम अन्य प्रदेशों से काम करने के लिए आए मजदूरों को घर छोड़ने की व्यवस्था करें या उन्हें घर जाने की परमिशन दे दें। इसलिए हमारे द्वारा उन मजदूरों से कहा गया है कि वह जहां पर हैं, वहीं पर रहे और जो भी उनकी मूलभूत सुविधाएं हैं वह हमारे द्वारा पूरी की जाएंगी।