प्रयागराज, मोहम्मद मोइन। एक मई का दिन हर साल पूरी दुनिया में मज़दूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मज़दूर अपने हक़ के लिए सड़कों पर उतरकर आवाज़ बुलंद करते हैं, लेकिन इस बार उन्हें हक़ नहीं बल्कि ज़िंदगी बचाने और दो वक्त के रोटी पाकर पेट भरने की बड़ी समस्या से जूझना पड़ रहा है। केंद्र और प्रदेश की सरकार ने लॉक डाउन में फंसे मजदूरों को उनके घर वापस भेजे जाने की कवायद तो शुरू कर दी है, लेकिन जिलों का सरकारी अमला आज मजदूर दिवस के दिन भी उन्हें न सिर्फ भूखा रखे हुआ है, बल्कि उनके साथ डांट फटकार का रवैया अख्तियार करते हुए उनसे बदसलूकी भी कर रहा है।


संगम नगरी प्रयागराज में भी हालात कमोवेश ऐसे ही हैं। इस जिले को पूर्वी उत्तर प्रदेश के तीस जिलों के लिए मजदूरों का कलेक्शन सेंटर बनाया गया है। दूसरे राज्यों से आए मजदूरों को यहीं से अलग अलग जिलों में भेजा जा रहा है, जबकि यूपी में फंसे मजदूरों को यहीं से उनके राज्यों में भेजा जा रहा है। मजदूरों को कई स्कूल -कॉलेजों में रखा जा रहा है। लेकिन यहां के हालात बद से बदतर नज़र आ रहे हैं। अगर आज मजदूर दिवस के दिन की बात करें तो यहां रखे मजदूरों को आधा दिन बीतने तक चाय भी नहीं नसीब हुई है। उनके लिए पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं हैं। मजदूरों को कमरों में ठूंसकर रख दिया गया है। तमाम मजदूर खुले आसमान के नीचे एक दूसरे से सटकर बैठे हुए हैं।



सोशल डिस्टेंसिंग कहीं दूर दूर तक नज़र नहीं आ रही है। सेंटर्स पर साफ़ सफाई के कोई इंतजाम नज़र नहीं आ रहे हैं। आधा दिन बीतने तक इन मजदूरों की जांच के लिए कोई मेडिकल टीम नहीं पहुंची है। मजदूर भूख से तड़प रहे हैं, लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। शहर के सीएवी इंटर कालेज में मौजूद एसडीएम रैंक के एक अफसर तो इन मजदूरों को गालियां देकर उन्हें दुत्कार रहे हैं। खाना मांगने पर उन्होंने एमपी से आए बस ड्राइवरों के वाहन पास और दूसरे कागजात तक रखवा लिये हैं।


साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि मजदूरों और दूसरे लोगों को लेकर केंद्र और प्रदेश की सरकारें तो संवेदनशील बनी हुई हैं। उनकी मदद के लिए तमाम हिदायत जारी कर रही हैं, लेकिन प्रयागराज का सरकारी अमला लगातार बेपरवाह और लापरवाह नज़र बना हुआ है। दो दिनों पहले सडकों पर उतरे छात्रों को बसों से भेजे जाने के वक्त भी यहां सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती नज़र आई थीं। कहना गलत नहीं होगा कि एक मई को मजदूर दिवस के दिन भी प्रयागराज में परेशान मजदूरों की परेशानी को बांटने और उसे कम करने के बजाय उनकी गरीबी और लाचारी का माखौल उड़ाया जा रहा है।