गोरखपुर: यूपी में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपा रखा है. प्रदेश के कई जिलों में ऑक्‍सीजन और कोविड-19 रक्षक दवाइयों की किल्‍लत है. सरकारी और प्राइवेट अस्‍पतालों में बेड खाली नहीं हैं. ऑक्‍सीजन की कमी के चलते लोग अपने मरीज को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. प्रशासन और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है. गोरखपुर में भी हालात बेकाबू हो गए हैं. एक और जहां सरकारी और निजी अस्‍पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं तो वहीं आक्‍सीजन और कोविड-19 रक्षक दवाइयों की शॉर्टेज ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.  


परेशानी का सामना करना पड़ रहा है
गोरखपुर में रोजाना कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा एक हजार से अधिक होने के साथ लगातार हो रही मौतों ने प्रशासन और स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. ऑक्‍सीजन की किल्‍लत और कोविड-19 रक्षक दवाओं रेमडेसिविर और फेबि-फ्लू इंजेक्‍शन के नहीं मिलने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऑक्सीजन सप्‍लाई करने वाले मोदी केमिकल के एमडी अमित मोदी का कहना है कि कुछ लोग स्‍टोर करने के चक्‍कर में पड़े हैं जिस वजह से शॉर्टेज हो रही है. हर कोई घर में सिलेंडर रखने और स्‍टोर करने में लगा है. यही वजह ह‍ै कि ऑक्‍सीजन सिलेंडर की शॉर्टेज हो रही है.


पूरी हो जाएगी कमी 
गोरखपुर के ड्रग इंस्‍पेक्‍टर जय सिंह का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्‍शन की पूरे यूपी में शॉर्टेज है. डिमांड को देखते सप्‍लाई कम मिल रही है. दो से चार दिन में यहां कमी पूरी हो जाएगी. जितनी मात्रा मिल रही है उसी में काम चला रहे हैं. फैबी-फ्लू की भी शॉर्टेज हो गई थी. वाराणसी में चुनाव की वजह से माल उठ नहीं पाया था. माल आते ही कमी पूरी हो जाएगी.  


प्रयास जारी हैं 
दवा विक्रेता समिति गोरखपुर के महामंत्री आलोक चौरसिया ने बताया कि कम्‍यूनिटी स्‍प्रेड होने की वजह से डिमांड बहुत बढ़ गई है. प्रोडक्‍शन उतना नहीं हो पा रहा है. इंडिया के अंदर कई कंपनियों से बात हो गई है. शासन लगा हुआ है. दो दिन के अंदर दवाओं की उपलब्‍धता सुनिश्चित करा दी जाएगी.


जरूरत के मुताबिक सप्‍लाई दी जा रही है
गोरखपुर के सीएमओ डॉ सुधाकर पाण्‍डेय ने बताया कि ऑक्‍सीजन की कोई कमी नहीं रही. थोड़ी अव्‍यवस्‍था हो गई थी. जो सप्‍लाई कर रहे थे, उन्‍हें कोई दिक्‍कत थी. जरूरत के मुताबिक सप्‍लाई दी जा रही है. फेबि-फ्लू हमारी दवाइयों में शामिल नहीं है. कोविड-19 से रिलेटेड दवाओं की उपलब्‍धता है. बहुत से लोग अनायास ही दवाएं लिख रहे हैं. उन्‍हें इस बात का ध्‍यान रखना होगा.  


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