Dehradun News: देहरादून जिले के लोहारी गांव ने रोशनी के लिए जलसमाधि ले ली है. उत्तराखंड में 120 मेगा वाट की परियोजना के लिए इस गांव को विस्थापित किया गया है. अब लोहारी गांव इतिहास के पन्नों में पढ़ा जाएगा. लोहारी गांव के लोग अपने गांव की यादों को याद कर हमेशा भावुक होते रहेंगे. गांव छोड़ते वक्त लोगों की आंखों में आंसू आ गए. दिलों में गांव से जुड़ी सभी यादें को याद कर मन भावुक हो रहा था कि अब कभी उनका इस गांव में ना आना-जाना हो पाएगा और न ही गांव को कभी देख पायेंगे. अपना बचपन, अपनी जवानी और अपना एक युग गांव के लोग हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ रहे हैं.
यादें जो हमेशा करेंगी भावुक
अपने गांव को हमेशा के लिए छोड़ देना कोई छोटा दर्द नहीं होता. गांव के मेले, यहां गांव वालों ने अपनों के साथ बिताए हुए पल और इसी गांव में जन्मे लोग गांव को छोड़ते समय किस तरह से भावुक होंगे इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. न जाने कितनी तरह के सवाल उनके मन में कौंध रहे होंगे. क्योंकि अब वो अपने गांव, घरों को कभी देख नहीं पायेंगे. अपने जीवन की इन अनमोल यादों से वो हमेशा के लिए दूर हो गए हैं.
गांववालों ने लगाया अनदेखी का आरोप
लोहारी गांव के रहने वाले लोगों ने अधिकारियों पर उनकी अनदेखी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उचित व्यवस्था उनके लिए नहीं की गई. गांव छोड़ते वक्त लोग भावुक हैं और अपने बीते दिनों को याद कर रहे हैं.
120 मेगावाट बिजली मिलेगी
सन् 1972 में व्यासी जलविद्युत परियोजना की शुरुआत हुई थी. 1990 के बाद एक पुल हादसा हुआ था जिसके बाद परियोजना का काम रोक दिया गया था. 2012 में परियोजना का काम फिर से शुरू हुआ. इस परियोजना पर 18 सौ करोड़ का खर्चा आयेगा. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ये परियोजना देश को समर्पित की थी.
जानिए क्या है व्यासी जल विद्युत परियोजना?
ये परियोजना देहरादून ब्लॉक कालसी के लखवाड़ में बन रही है. इसका स्वामित्व उत्तराखंड जलविद्युत निगम के तहत आता है. ये परियोजना यमुना नदी पर बन रही है. इस पर बनने वाले बांध की ऊंचाई 204 मीटर यानी 669 फीट ऊंची है. इस परियोजना की उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट है. यहां पर 100-100 मेगावाट के तीन टरबाइन लगेंगे.
खत्म होंगी बिजली की समस्या
यमुना नदी पर व्यासी बांध उत्तराखंड को बिजली की समस्या से मुक्त करेगी. इस परियोजना के तहत 120 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. व्यासी जलविद्युत परियोजना के लिए बनाए गये डैम में पानी भरने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है. बिजली उत्पादन के क्षेत्र में ये परियोजना प्रदेश में मील का पत्थर साबित होगी.