UP News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur kheri) हिंसा मामले में आशीष मिश्रा (Ashish Mishra ) की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुना सकता है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 4 अप्रैल को सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले में अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को मामले में जमानत दे दी थी. इससे पहले वह चार महीने तक हिरासत में रहा था.


लखीमपुर खीरी हिंसा में आठ लोग मारे गए थे


लखीमपुर खीरी हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के सदस्यों ने आशीष मिश्रा को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान किसानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने जमानत रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उच्च न्यायालय ने जांच रिपोर्ट की अनदेखी की. वहीं, आशीष मिश्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया.


कब और कैसे हुई थी हिंसा?


गौरतलब है कि किसानों का एक समूह बीजेपी के नेता केशव प्रसाद मौर्य के विरोध में पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था और तभी लखीमपुर खीरी में एक कार ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया था. 


इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला था जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी. किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा था, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था. हालांकि, मिश्रा ने आरोपों को खारिज किया है.